रामपुर (उत्तर प्रदेश): आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन से पैदा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान ने ‘‘लोगों के साथ बादशाहों जैसा बर्ताव करने के लिए’’ आज देश के नौकरशाहों की आलोचना की और कहा कि आजादी के तुरंत बाद सिविल सेवाओं को समाप्त कर दिया जाना चाहिए था.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके आजम ने यहां एक हिंदी समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में दावा किया कि प्रशिक्षण के दौरान आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के दिमाग में यह डाला जाता है कि वे अब बादशाह बनने जा रहे हैं. आजम ने कहा कि नौकरशाहों का रवैया इसलिए है कि उन्हें ब्रिटिश राज में गठित उस तंत्र के तहत प्रशिक्षण दिया जाता है जिसका उद्देश्य भारतीयों पर सर्वोच्चता बनाए रखना था. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ही सिविल सेवाओं को खत्म कर दिया जाना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासक आईएएस और आईपीएस अधिकारी तैयार करते थे और उन्हें ऐसे पढ़ाया जाता था जैसे वे नरेश हों. दुर्भाग्य से आजादी के पहले के दौर में दी जा रही शिक्षा अब भी कायम है.
आजम ने इस मामले में कांग्रेस के ‘‘रवैए’’ को लेकर उसकी आलोचना की और आरोप लगाया कि इसके पहले भी कई आईएएस अधिकारी निलंबित हुए और यहां तक कि उन्हें जेल भी भेजा गया ‘‘लेकिन न सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बल्कि पूरी आईएएस लॉबी भी चुप रहीं.’’उन्होंने कहा कि जब गलती करने वाली एक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरु की गयी तो सबने सरकार के खिलाफ बोलना शुरु कर दिया.