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आय से अधिक संपत्ति मामला : जयललिता की सुनवाई पर रोक लगाने की याचिका स्थगित
नयी दिल्ली : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की आय से अधिक संपत्ति के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय में दायर अपील पर चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की द्रमुक नेता की याचिका को आज उच्चतम न्ययालय ने सुनवाई नौ मार्च के लिये स्थगित कर दिया है. न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति आरके […]
नयी दिल्ली : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की आय से अधिक संपत्ति के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय में दायर अपील पर चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की द्रमुक नेता की याचिका को आज उच्चतम न्ययालय ने सुनवाई नौ मार्च के लिये स्थगित कर दिया है.
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की पीठ ने द्रमुक नेता के अनबझगन की याचिका पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा ‘हमने याचिका का अध्ययन नहीं किया है.’न्यायाधीशों ने कहा ‘हम कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.’ इसके साथ ही याचिका पर सुनवाई नौ मार्च के लिये स्थगित कर दी गयी क्योंकि आज सुबह ही उसे यह मामला दिया गया था.
इससे पहले यह मामला न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था. हालांकि, सुबह प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की एक पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया गया और सूचित किया गया कि इस मामले को दूसरी पीठ को सौंपा जाना चाहिए क्योंकि न्यायाधीशों में से एक न्यायाधीश पूर्व जयललिता की पैरवी कर चुके हैं.
द्रमुक के महासचिव अनबझगन ने अपनी याचिका में इस मामले से लोक अभियोजक को हटाने का अनुरोध किया है. उनका आरोप है कि लोक अभियोजक निष्पक्ष नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कल द्रमुक नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता टी आर अंद्याजरुन ने इस मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करते हुए इसका उल्लेख किया था.
न्यायालय ने उनका यह अनुरोध स्वीकार कर लिया था. इससे पहले, पिछले साल दिसंबर में शीर्ष अदालत ने जयललिता की जमानत चार महीने बढाते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले की सुनवाई के लिये विशेष पीठ गठित करने का अनुरोध किया था और कहा था कि अन्नाद्रमुक नेता की अपील पर तीन महीने के भीतर सुनवाई पूरी की जाए.
न्यायालय ने जयललिता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी को इस मामले से संबंधित दस्तावेजों की प्रति भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया था.
इस मामले में विशेष अदालत ने जयललिता, उनकी सहयोगी शशिकला और दो अन्य अभियुक्तों को चार-चार साल की कैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने जयललिता पर सौ करोड़ रुपये और अन्य अभियुक्तों पर दस-दस करोड़ रुपये का जुर्माना भी किया था.
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