नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के सिहोर जिले में पांच पुत्रियों का सिर कलम करने वाले पिता मगनलाल बरेला को फांसी देने पर आज अगले आदेश तक रोक लगा दी. मगनलाल को आज फांसी दी जानी थी.प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मगनलाल को फांसी देने पर अगले आदेश तक रोक लगायी. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को पहले से ही लंबित उन मामलों के साथ संलग्न कर दिया है जिनमें विभिन्न आधारों पर मौत की सजा को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. न्यायालय ने पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के सदस्यों द्वारा मगनलाल को फांसी पर लटकाने के खिलाफ शीर्ष अदालत से संपर्क करने पर यह रोक लगायी.
पीयूडीआर के कार्यकर्ता कल प्रधान न्यायाधीश के निवास गये थे. प्रधान न्यायाधीश ने आधी रात के करीब एक दिन के लिये मगनलाल की फांसी पर रोक लगा दी थी. यह आदेश तत्काल ही जबलपुर में जेल अधिकारियों को प्रेषित किया गया था. मगनलाल को अपनी दो पत्नियों के साथ संपत्ति विवाद के कारण पांच पुत्रियों लीला (6), सविता (5), आरती (4) फूल कंवर (2) और जमुना (1) की कुल्हाड़ी से 11 जून 2010 को हत्या करने का दोषी पाया गया था.
इस हत्यारे को जबलपुर की केंद्रीय जेल में आज सुबह फांसी दी जानी थी. सिहोर की निचली अदालत ने मगनलाल को फांसी पर लटकाने के लिये आवश्यक मौत का फरमान जारी किया था. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मगनलाल की दया याचिका 22 जुलाई, 2013 को अस्वीकार कर दी थी.निचली अदालत ने 3 फरवरी, 2011 को मगनलाल को मौत की सजा सुनायी थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय की जबलपुर पीठ ने इस फैसले की पुष्टि कर दी थी और बाद में उच्चतम न्यायालय ने भी नौ जनवरी, 2012 को उसकी अपील खारिज कर दी थी.