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अरविंद केजरीवाल को जेड प्लस सुरक्षा देने के मुद्दे पर तकरार, गृह मंत्रालय ने कहा सुरक्षा नहीं लेनी है तो लिख कर दें

नयी दिल्ली : दिल्ली के मनोनीत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार में विवाद गहरा सकता है. अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने जेड प्लस सुरक्षा देने की पेशकश की थी, जिसे आम आदमी पार्टी ने खारिज कर दिया. वहीं, आज दोबारा अरविंद केजरीवाल ने इस […]

नयी दिल्ली : दिल्ली के मनोनीत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार में विवाद गहरा सकता है. अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने जेड प्लस सुरक्षा देने की पेशकश की थी, जिसे आम आदमी पार्टी ने खारिज कर दिया. वहीं, आज दोबारा अरविंद केजरीवाल ने इस सुरक्षा को लेने से इनकार कर दिया. जबकि दिल्ली पुलिस को गृह मंत्रालय ने सख्त हिदायत दी है कि अरविंद केजरीवाल को जेड प्लस सुरक्षा हर हाल में प्रदान की जाये. इसके बाद आज दिल्ली पुलिस ने कहा है कि केजरीवाल को जेड प्लस सुरक्षा लेनी होगी.
टीम केजरीवाल ने केंद्र के इस प्रस्ताव को फिर से खारिज कर दिया है, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने कड़ा रुख अपना लिया है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि अगर केजरीवाल को जेड प्लस सुरक्षा नहीं लेनी है, तो उन्हें इसके लिए लिखित रूप से देना होगा कि उन्हें यह सुरक्षा नहीं चाहिए. अगर केंद्र और राज्य के बीच इस मामले में बीच का रास्ता नहीं बना तो यह दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई का नया बहाना बन सकती है. टीम केजरीवाल को आशंका है कि मोदी सरकार इस सुरक्षा व्यवस्था के बहाने उनकी जासूसी कर सकती है. उसका यह भी तर्क है कि इस तरह की सुरक्षा से उनके नेता जनता से कट जायेंगे.
अपने आंदोलन और उसके तरीकों को लेकर मशहूर हुई आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा के मुद्दे को दिल्ली की स्वायत्ता का मुद्दा बना सकती है और नरेंद्र मोदी सरकार पर यह दबाव बना सकती है कि वे दिल्ली पुलिस हर हाल में राज्य सरकार के हवाले करे, जो वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है. हालांकि चुनावी जीत के बाद पिछले तीन दिन से केजरीवाल ने तो यही संदेश दिया है कि वे अब राजनीतिक हो चुके हैं और राज्य के विकास के लिए छोटी चीजों को बड़ा मुद्दा नहीं बनायेंगे.
हालांकि केजरीवाल ने दो दिन में दो बड़े मंत्रियों राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर सबसे पहले दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग रख दी है. वहीं, केंद्र ने अबतक ठोस रूप से यह संकेत नहीं दिया है कि वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देगा. भले भाजपा के राजनीतिक एजेंडे में यह मुद्दा रहा हो, लेकिन केंद्र सरकार का दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं देने का अपना कारण रहा है.

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