लंदन: मशहूर बाल अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि बाल श्रम पर भारतीय संसद में रखा गया विधेयक नई सरकार के लिए एक ‘परीक्षा’ साबित होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे सर्वाधिक शोषित बच्चों के मुद्दों को अपनी राजनीतिक प्राथमिकता में कैसे लेते हैं.
सत्यार्थी (61) बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) अधिनियम में संशोधन के बारे में बात कर रहे थे। इस संशोधन में 14 साल की आयुसीमा तक सभी तरह की बाल मजदूरी को प्रतिबंधित करना और खतरनाक कार्यों के संदर्भ में 18 साल की उम्र तक बाल मजदूरी पर रोक लगाने का प्रावधान है.
उन्होंने कहा, ‘‘कानून में पुनर्वास को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए और तब ही यह कानून अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कनवेंसन के अनुरुप होगा. हम प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह मौजूदा सरकार के लिए एक परीक्षा है कि वे सर्वाधिक शोषित बच्चों के मुद्दों को अपनी राजनीतिक प्राथमिकता में किस तरह से लेते हैं.’’ नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कुछ सकारात्मक कदमों को स्वीकार करते हुए सत्यार्थी ने कहा, ‘‘मौजूदा सरकार सामाजिक एजेंडे पर कई साहसिक पहल कर रही है. चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो या फिर बेटी बचाओ, बेटी पढाओ. ये बहुत बुनियादी सामाजिक कदम हैं जो सरकार और प्रधानमंत्री ने खुद उठाए हैं.’’