नयी दिल्ली : संप्रग द्वारा आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य का गठन किये जाने के फैसले के एक दिन बाद ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य का ‘‘मौजूदा ढांचा’’ प्रशासनिक नजरिये से ‘‘प्रशासन योग्य नहीं है.’’उन्होंने कहा, ‘‘पूरी तरह से प्रशासनिक नजरिये के अनुसार 20 करोड़ से अधिक आबादी, 72 जिलों और 800 से अधिक ब्लाक वाला राज्य.प्रशासन योग्य नहीं है. यह मेरी व्यक्तिगत सोच है. इसकी राजनीति एक अलग मुद्दा है.’’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘‘तेलंगाना कोई प्रशासनिक निर्णय नहीं था. इसके राजनीतिक संदर्भ हैं.’’
रमेश ने कहा,‘‘यदि राज्यों के पुनर्गठन को लेकर चर्चा करायी जाये तो उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. क्योंकि उत्तर प्रदेश का मौजूदा ढांचा प्रशासन योग्य नहीं है.’’ इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी का रुख रमेश के विचारों के ठीक विपरीत है. रमेश की टिप्पणी से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने कल देश के सबसे बड़े राज्य को चार भागों में बांटने की अपनी मांग को दोहराया था.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि उप्र को दो भागों में बांटने के मुद्दे को कांग्रेस के उप्र विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया गया है. उप्र को दो भागों में बांटने का समर्थन करते हुए पार्टी घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘यदि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सत्ता में आती है तो वह केंद्र से कहेगी दूसरे राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया जाये ताकि मुद्दों पर सही ढंग से गौर किया जा सके.’’
पिछले हफ्ते अपनी उन्नाव यात्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिले में 12 माह के दौरान छह जिला अधिकारी आ चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश का आकार तथा (इसके) प्रशासन में राजनीतिक एवं प्रशासिक हस्तक्षेप के कारण उत्तर प्रदेश तबाह हो रहा है.कोई भी मुख्यमंत्री 72 जिलों के नाम याद नहीं कर सकता.’’?उन्होंने कहा, ‘‘बिहार का पुनर्गठन किया गया है. मध्य प्रदेश का पुनर्गठन किया गया है. उत्तर प्रदेश का पुनर्गठन काफी समय से लंबित है. पश्चिम उप्र, पूर्वांचल, बुंदेलखंड एवं अवध’’पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश को चार छोटे राज्यों में विभाजित करने के लिए एक विवादास्पद प्रस्ताव को राज्य विधानसभा में पारित करवाया गया था.