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कार्टूनिस्‍ट आरके लक्ष्‍मण कार्टून स्‍ट्रीप ”यू सेड इट” से हो गये थे मशहूर

प्रीति शर्मा कागज पर हंसी-ठिठोली के साथ चित्रण के माध्‍यम से गंभीर से गंभीर विषय को आसानी से कह देने वाले भारत के मशहूर कार्टूनिस्‍ट रासीपुरम कृष्‍णास्‍वामी लक्ष्‍मण (आर. के.लक्ष्‍मण) की हालत गंभीर है. यूरिनरी इंन्‍फेक्‍शन और मल्टी आर्गेन फैल्‍योर की शिकायत के बाद उन्‍हें पुणे के दिनानाथ मंगेश्‍कर अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है. […]

प्रीति शर्मा
कागज पर हंसी-ठिठोली के साथ चित्रण के माध्‍यम से गंभीर से गंभीर विषय को आसानी से कह देने वाले भारत के मशहूर कार्टूनिस्‍ट रासीपुरम कृष्‍णास्‍वामी लक्ष्‍मण (आर. के.लक्ष्‍मण) की हालत गंभीर है. यूरिनरी इंन्‍फेक्‍शन और मल्टी आर्गेन फैल्‍योर की शिकायत के बाद उन्‍हें पुणे के दिनानाथ मंगेश्‍कर अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है. फिलहाल उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.
आर के लक्ष्‍मण ने एक प्रतिष्‍ठित अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया में छपने वाली कार्टून स्‍ट्रीप’यू सेड इट’ के लिए खूब नाम कमाया. करीब 50 सालों तक इस संस्‍थान से जुड़े रहे लक्ष्‍मण ने आम आदमी पर केंद्रित कई कार्टून बनाए. एक राजनीतिक कार्टूनिस्‍ट के रूप में लक्ष्‍मण दशकों तक समचार पत्रों से जुड़े रहे. शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के सहपाठी रह चुके आर के लक्ष्‍मण के साथ ही ठाकरे ने भी फ्री प्रेस जर्नल से कार्टूनिस्‍ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.
आर के लक्ष्‍मण ने पंडित जवाहर लाल नेहरू का भी कार्टून बनाया था. इसें लेकर 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद एक दिन सुबह आर के लक्ष्‍मण को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का फोन आया. पंडित जी ने उनसे कहा ‘ मुझे आज सुबह आपके कार्टून को देखकर बहुत हंसी आयी. मैं चाहता हूं कि आप मुझे अपना हस्‍ताक्षर किया बड़े आकार का चित्र दें जिसे मैं फ्रेम करा सकूं’
मशहूर उपन्‍यासकार आर के नारायण के छोटे भाई लक्ष्‍मण अपने छह भाईयों में सबसे छोटे थे. उनके पिता हेडमास्‍टर थे. लक्ष्‍मण का जन्‍म 24 अक्‍टूबर 1921 को मैसूर में हुआ था. बचपन से ही चित्रों और कार्टून से लगाव रखने वाले आर के लक्ष्‍मण को स्‍कूली दिनों में पीपल के पत्‍ते पर बनाये एक चित्र को उनके शिक्षक ने खूब सराहा था. उसी समय से उनका कार्टून और चित्रों से लगाव बढ़ता चला गया. मैसूर विश्‍वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री लेने के दौरान ही उन्‍होंने स्‍वराज्‍य पत्रिका के लिए कार्टून बनाना शुरू कर दिया था.
अपने बड़े भाई आर के नारायण के कई उपन्‍यासों का चित्रण लक्ष्‍मण ने अपनी कला के माध्‍यम से किया. दुनिया के सबसे बड़े कार्टूनिस्‍ट डेविड लो से बहुत प्रभावित थे. अपने जीवन वृतांत ‘द टनेल ऑफ टाइम’ में आर के लक्ष्‍मण ने बताया कि वह बचपन में डेविड लो के नाम को ‘काउ’ पढ़ा करते थे.
एशियन पेंट्स का गट्टू और मालगुड़ी डेज के चरित्रों का आकर्षक चित्रण आर के लक्ष्‍मण ने ही किया. मालगुड़ी डेज उनके ही बड़े भाई आर के नारायण की उपन्‍यास पर आधारित कार्यक्रम था. इसका निर्देशन शंकर नाग ने किया था. वर्ष 2005 में आर के लक्ष्‍मण को भारते के दूसरे सबसे बड़े सम्‍मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1985 में ही उन्‍हें पत्रकारिता, साहित्‍य और संचार के लिए रोमन मैग्‍सेसे पुरस्‍कार से नवाजा गया.

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