नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की उन याचिकाओं पर सुनवाई से आज खुद को अलग रखा, जिनमें उन्हें और तीन अन्य लोगों को समन भेजने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गयी है.
न्यायमूर्ति वी पी वैश ने कहा कि वह मामले में सुनवाई नहीं करेंगे क्योंकि उनके मामलों का रोस्टर बदल गया है. उन्होंने याचिकाओं को एक उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
न्यायाधीश ने छह अगस्त को सोनिया और राहुल तथा अन्य के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाई थी और 15 दिसंबर को आज सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया था जिस पर दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई होनी है.अदालत ने 15 दिसंबर, 2014 को याचिकाओं के अंतिम निपटारे तक समन पर रोक भी लगा दी थी.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने न्यायाधीश के सुनवाई से अलग होने का विरोध करते हुए कहा कि मामले में नये सिरे से सुनवाई से मामला और लंबित होगा. उन्होंने अनुरोध किया कि इसी अदालत को मामले में सुनवाई करनी चाहिए जो इस मामले को देख रही है.अदालत ने स्वामी के अनुरोध को खारिज कर दिया और मामले को स्थानांतरित कर दिया.
बाद में स्वामी ने मामले का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आर एस एंडला की पीठ के समक्ष किया और इसे स्थानांतरित करने पर रोक लगाने की मांग की.स्वामी ने कहा कि न्यायमूर्ति वैश ने शुरुआत से मामले में सुनवाई की है, इसलिए उन्हें इस पर सुनवाई का निर्देश दिया जाए.
पीठ ने कहा कि वह इस संबंध में उचित आदेश देगी. मामले में आगे सुनवाई के लिए 18 मार्च की तारीख तय की गयी है.स्वामी ने निचली अदालत में अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि यंग इंडिया द्वारा नेशनल हेराल्ड को खरीदने में कांग्रेस नेताओं ने कथित रुप से धन का दुरुपयोग किया और धोखाधडी की.
मामले में निचली अदालत के समन के आदेश के खिलाफ सोनिया और राहुल के अलावा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, महासचिव ऑस्कर फर्नांडीज और सुमन दुबे ने भी 30 जुलाई, 2014 को उच्च न्यायालय का रख किया था.
निचली अदालत ने पिछले साल 26 जून को सोनिया, राहुल, वोरा, फर्नाडीज, दुबे और सैम पित्रोदा को सात अगस्त, 2014 को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा था.समन पर बाद में उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी.पित्रोदा के खिलाफ नये सिरे से नौ दिसंबर को समन भेजा गया. उन्होंने अभी तक उच्च न्यायालय में अपील दाखिल नहीं की है.