नयी दिल्ली : एक तरफ ऐसे परिवार हैं, जो मंद बुद्धि होने पर अपने बच्चों को अनाथालय में छोड़ देते हैं, वहीं एक मां ऐसी भी है, जो बिछड़ चुके अपने आठ साल के मंद बुद्धि बेटे का फोटो लेकर पिछले 12 साल से गली-गली घूम रही है, इसी उम्मीद के साथ शायद कोई बेटे के बारे में बता दे.
दिल्ली के मंद बुद्धि सेंटरों में चक्कर लगा चुकी है और कभी किसी सरकारी कार्यालय में बेटे के बारे में जाकर पूछती है, तो कभी नेताओं के दफ्तर में फरियाद लेकर जाती है कि शायद कहीं से बेटे से संबंधित कुछ जानकारी मिल जाये. करोलबाग के कीकरवाला चौक की रहनेवाली लज्जा कहती हैं कि एक मां हूं और मैं अपने बेटे को कैसे छोड़ सकती हूं. लज्जा के पति की मौत 13 साल पहले हो गयी थी.
एक साल बाद बेटा गायब हो गया. अब वह 20 वर्ष का हो चुका होगा. उनकी सास तिमारपुर में एक रिश्तेदार के यहां गयी थीं, लौट कर आयी तो बताया कि बेटा कहीं गायब हो गया है.
मंद बुद्धि बच्चों के संचालित ऐसे आश्रमों में कई बार चक्कर लगा चुकी हूं. मगर वे लोग बच्चों की फोटो नहीं दिखाते, बल्किरिकॉर्ड दिखाते हैं और सहयोग नहीं करते.