नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे में राज्यों की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है तथा उन्होंने प्रस्तावित कानून को ‘‘आजादी के बाद देश का सबसे बडा एकल कर सुधार’’ करार दिया.
जेटली ने कहा कि इसके लागू होने पर जनता को फायदा होगा. इससे चीजें सस्ती होगी. वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स होगा. देशभर में हर सामानों की अब एक ही कीमत होगी. उन्होंने कहा कि जीएसटी को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखें. इससे किसी भी राज्य को कोई नुकसान नहीं होगा. इससे टैक्स चोरी घटेगी और उससे जो भी आय होगा उसे केंद्र और राज्य के बीच बांटा जाएगा. जीएसटी से टैक्स में भी राहत मिलेगा. अभी सामानों पर 30-35 प्रतिशत टैक्स देना पडता है. जीएसटी के बाद यह 20-25 प्रतिशत रह जाएगा. इससे राज्यों के नुकसान की भी भरपाई होगी. जेटली ने कहा कि 1947 के बाद यह पहला बडा टैक्स सुधार है.
जेटली ने राज्यसभा में मौजूदा वित्त वर्ष की अनुदान की अनुपूरक मांगों पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि यह कानून देश में ‘‘सहयोगात्मक संघवाद’’ को मजबूत करेगा क्योंकि जीएसटी के बारे में निर्णय करने वाली परिषद में दो तिहाई सदस्य राज्यों से जबकि एक तिहाई सदस्य केंद्र के होंगे. उन्होंने कहा कि इस परिषद में 75 फीसदी के बहुमत से निर्णय किए जाएंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले सप्ताह 11 दिसंबर को चंद राज्यों के मंत्रियों एवं प्रतिनिधियों के साथ उनकी बैठक हुई थी जिसमें जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे को दिखाया गया. उन्होंने कहा कि राज्यों की राय पर इस मसौदे में कुछ सुधार भी किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसी ही बैठक गत सोमवार को भी हुई थी. उन्होंने कहा कि जीएसटी केंद्र एवं राज्य दोनों ही के लिए लाभ की स्थिति होगा. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को कर की जो हानि होगी उसकी भरपाई के लिए संवैधानिक गारंटी का प्रावधान होगा.
जीएसटी को ‘‘आजादी के बाद सबसे बडा एकल कर सुधार’’ करार देते हुए जेटली ने कहा कि वैट के विपरीत इसमें केवल अंतिम बिन्दु पर कर लगाया जाएगा. इससे व्यावहारिक स्तर पर कई फायदे होंगे.
कांग्रेस के जयराम रमेश ने वित्त मंत्री से यह स्पष्टीकरण मांगा था कि पिछली सरकार में, गुजरात ही एकमात्र ऐसा राज्य था जो जीएसटी का काफी विरोध कर रहा था. उन्होंने कहा कि अब ऐसा क्या बदलाव आ गया कि गुजरात इसके समर्थन में आ गया है, सिवाय इसके कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री अब देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं.
इस पर जेटली ने कहा कि यह हो सकता है कि राज्यों का मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सहयोगात्मक संघवाद पर अधिक भरोसा बढ गया हो.उन्होंने तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन के स्पष्टीकरण के जवाब में कहा कि जीएसटी के मामले में केंद्र सरकार ने जो भी निर्णय किए हैं वे इस संबंध में बनाई गई, राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति में पारित किए गए प्रस्ताव के अनुरुप हैं.
कई सदस्यों द्वारा पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद कर बढाने का विरोध करने के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि सामाजिक क्षेत्रों पर अधिक व्यय किया जा सके. उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि सारा बोझ आयकर दाताओं पर ही डाला जाए.
जेटली ने कहा ‘‘इसके अलावा, तेल कंपनियों को अपनी कम वसूली की भरपाई भी करनी है अन्यथा उनका नुकसान बढता जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के आने के बाद पेट्रोल और डीजल के दामों में आठ बार कमी की गई है.वित्त मंत्री ने कहा कि वह वाम दलों के इस विचार को स्वीकार नहीं कर सकते कि व्यय बढाने के लिए लोगों पर कर बढाया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार व्यय को युक्तिसंगत बना रही है.
जेटली ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत घटने के बारे में कई सदस्यों द्वारा चिंता जताने पर उम्मीद जताई कि रुपये की स्थिति में अगले कुछ दिनों में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि उभरती हुई अन्य अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा की तुलना में रुपया डॉलर के मुकाबले उतार चढाव का अपेक्षाकृत अधिक शिकार नहीं हुआ है.
भाकपा के डी राजा ने उनसे यह जानना चाहा था कि योजना आयोग के खत्म हो जाने के बाद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मद के तहत आवंटित की जाने वाली राशि का भविष्य क्या होगा. इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि ढांचा जो भी रहे, लेकिन इस मद के तहत राशि का आवंटन जारी रहेगा.
इससे पूर्व चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने जीएसटी को लेकर राज्यों की चिंताओं को उठाया तथा पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढाए जाने का विरोध किया.चर्चा में माकपा के पी राजीव, सपा के नरेश अग्रवाल, कांग्रेस के राजीव शुक्ला, द्रमुक के तिरुचि शिवा, बीजद के भूपेंद्र सिंह, तृणमूल के डी बंदोपाध्याय और भाकपा के डी राजा ने भाग लिया.