नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री ने पिछले महीने निर्देश दिए थे कि भारत-अबु धाबी हवाई सेवा समझौते पर उस वक्त तक कार्यान्वित नहीं किया जाए जब तक कि केंद्रीय मंत्रिमंडल उस पर विचार नहीं कर ले.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बारे में 13 जून को परिपत्र भेजा था. इसके अनुसार, व्यापार परामर्श तथा पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि किसी भी समझौते पर कार्यान्वयन से पहले यह मामला फैसले के लिए मंत्रिमंडल में लाया जा सकता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने चिंता जताई थी कि भले ही विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य मंत्रालय ने सीटें बढाने का समर्थन किया लेकिन आर्थिक मामलात विभाग (डीईए) को आपत्ति थी. इसके अलावा विमानन कंपनियों तथा हवाई अड्डों ने भी इसका विरोध किया क्योंकि इससे यूरोप तथा उत्तर अमेरिका जाने वाले यातायात अबु धाबी चला जाएगा.
इसने यह चिंता भी जताई थी कि अगर अबु धाबी की कोई कंपनी जेट एयरवेज का अधिग्रहण कर लेती है तो वह कंपनी इस मार्ग पर अधिकतर सीटों पर नियंत्रण करेगी और अन्रु देशों से भी इसी तरह के आग्रह मिल सकते हैं. नोट में कहा गया है कि नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि सहमति पर पहुंचने से पहले इन चिंताओं को ध्यान में रखा गया था.