देहरादून : बाढ़ की तबाही के मद्देजनर उत्तराखंड सरकार ने नदियों के किनारे मकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी और राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए एक संवैधानिक प्राधिकरण की स्थापना की आज घोषणा की.
उधर, दिल्ली में, वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि उत्तराखंड में तबाही झेले क्षेत्रों के पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे बहुपक्षीय निकायों से वित्तीय सहायता मांगी जाएगी.
नदी तटों पर अवैध निर्माणों की भरमार पर आलोचनाओं को देखते हुए हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यहां एक सम्मेलन में ऐसे इलाकों में घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के निर्माण पर सीधे प्रतिबंध की घोषणा की. नदी तटों पर इस तरह के अवैध निर्माणों की एक बड़ी तादाद का उपयोग होटलों और पर्यटक लॉजों के रुप में किया जाता है. उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुए भारी नुकसान पर विचार करते हुए कैबिनेट ने यह फैसला किया.
बहुगुणा ने कहा कि पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण प्राधिकरण के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे. यह निकाय आगामी दशकों में आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर सुरक्षा उपायों पर भी गौर करेगा. प्राधिकरण में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे.
इस आपदा में मृतकों की संख्या के परस्पर विरोधी आंकड़ों के मद्देजनर मुख्यमंत्री ने संख्या के बारे में अनुमान लगाने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अब भी प्रभावित क्षेत्रों में मलबे का ढेर पड़ा हुआ है और उनसे शवों को निकाला जाना है.
बहुगुणा ने इसके साथ ही कहा कि कथित तौर पर लापता बताए जा रहे तीन हजार लोगों के बारे में अभी पता लगाया जाना है.
बहुगुणा ने कहा, ‘‘ ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री होने के नाते मैं कोई संख्या बताने पर जोर नहीं दूंगा. प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाले पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 500..600 शव दिख रहे हैं, कई मलबे के ढेर में हो सकते हैं और कई कथित तौर पर लापता हैं और उनका पता लगाया जाना है.’’
जहां उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ने दावा किया था कि मृतकों की संख्या 10 हजार से आगे बढ़ सकती है, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मृतकों की संख्या 900 बताई और कहा कि तीन हजार से ज्यादा लापता हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मृतकों की संख्या 580 बताई है.
बहुगुणा ने कहा कि बड़े पैमाने पर हुयी तबाही को देखते हुए राहत एवं पुनर्वास के प्रावधानों में संशोधन करते हुए इसका दायरा छोटी दुकानों और ढाबों से बड़े होटलों तक बढ़ाने का फैसला किया गया है.
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ‘‘यह एक प्रगतिशील और महत्वपूर्ण कदम है जिससे लोगों में भरोसा पैदा होगा.’’ प्राधिकरण प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए केंद्र और अन्य स्नेतों से राज्य को मिलने वाली विशाल राशि के उपयोग में पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगा.
रमेश ने कहा कि पुनर्निर्माण प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा घोषित एक हजार करोड़ रुपए के पैकेज के अलावा विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से 2,500 से 3,000 करोड़ रुपए तक मिलने की उम्मीद है.
बहुगुणा ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए बाढ़ में प्रभावित छोटी दुकानों और ढाबों को 50 हजार से एक लाख रुपए तक तथा पूरी तरह से बर्बाद हो गए होटलों के मामलों में दो लाख रुपए तक दिए जाने का फैसला किया गया है.
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को दो लाख से 10 लाख रुपए तक के नुकसान में क्षति के 30 प्रतिशत का मुआवजा दिया जाएगा जबकि 10 से 20 लाख रुपए तक के नुकसान में 20 प्रतिशत का भुगतान किया जाएगा.
कैबिनेट ने प्रभावित स्थानीय लोगों को बैंकों से लिए गए रिणों पर एक साल तक भुगतान की छूट देने का भी फैसला किया है. इसके अलावा पूरी तरह से कट गए इलाकों के प्रभावित परिवारों को 15 किलोग्राम चावल और आटा, पांच किलोग्राम दाल, तीन किलोग्राम चीनी, एक एक लीटर रिफाइन और सरसों तेल, नमक, मसाले और 10 लीटर केरोसिन निशुल्क दिए जाने का फैसला किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून के अनुसार लापता व्यक्ति को सात साल के बाद ही मृत घोषित किया जा सकता है लेकिन जनहित में हमने फैसला किया है कि इस आपदा में लापता व्यक्ति का अगर एक महीने में पता नहीं लगता है तो उसके परिजन को मुआवजे की राशि मुहैया करा दी जाएगी. इस बीच, दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज कहा कि उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित किसी भी क्षेत्र में जलजनित, खाद्य सामग्री जनित, वायु जनित कोई बीमारी नहीं फैली है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना के 23 चिकित्सकीय अधिकारियों का पहला दल देहरादून के रास्ते में है. केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना के और चिकित्सक लखनउ और कानपुर से उसमें शामिल होंगे. इससे दल में शामिल चिकित्सकों की संख्या बढ़कर 40 हो जाएगी.
बयान में कहा गया है कि बेंगलूर स्थित एनआईएमएचएएनएस से तीन सदस्यीय दल दिल्ली स्थित इहबास से गए पहले दल में शामिल होगा ताकि पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता मुहैया करायी जा सके.
प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को स्वच्छ पानी सुनिश्चित करने के लिए 40 क्लोरोस्कोप्स के साथ ही बड़ी संख्या में अभिकर्मक भेजे गए हैं जो कि पांच हजार पानी के नमूनों की जांच करने के लिए पर्याप्त हैं. इसके अलावा और क्लोरोस्कोप्स भेजने के लिए खरीदे जा रहे हैं.