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भाजपा-शिवसेना : ये रिश्ता क्या कहलाता है !

मनोज अग्रवाल मुंबई :महाराष्ट्र में सरकार में हिस्सेदारी के सवाल पर भाजपा-शिवसेना के बीच खींचतान का खेल जारी है. सरकार बने एक माह से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी दोनों के बीच ऐसी कोई बात नहीं हुई है, जो दोनों को मंजूर हो. हालांकि सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना […]

मनोज अग्रवाल

मुंबई :महाराष्ट्र में सरकार में हिस्सेदारी के सवाल पर भाजपा-शिवसेना के बीच खींचतान का खेल जारी है. सरकार बने एक माह से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी दोनों के बीच ऐसी कोई बात नहीं हुई है, जो दोनों को मंजूर हो.

हालांकि सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के शामिल होने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंचती हुई लग रही है और आज यह मुद्दा सुलझ सकता है. इस सिलसिले में रविवार देर रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के घर उनके साथ शिवसेना नेताओं अनिल देसाई और सुभाष देसाई की बैठक हुई. फड़णवीस का कहना है कि समर्थन के मुद्दे पर शिवसेना के साथ 80 फीसदी बातचीत हो चुकी है. बैठक के दौरान फड़णवीस सरकार के कुछ कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे. हालांकि, किसी भी पक्ष ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में दोनों दलों के नेताओं के बीच मुलाकात से गठबंधन की राह आसान होती तो दिख रही है, लेकिन सस्पेंस अब भी बरकरार है. इस तरह की कोशिशें पहले भी हो चुकी है. मुख्यमंत्री फडणवीस ने इसी माह कहा था कि हम चाहते हैं कि शिवसेना हमारी सरकार का हिस्सा बने. लेकिन बावजूद इसके अभी तक यह पहेली ही बनी हुई है.
उधर शिवसेना के एक नेता रामदास कदम ने आज भाजपा पर आरोप लगाया कि वह महाराष्ट्र सरकार में उनकी पार्टी के शामिल होने के मुद्दे पर चल रही बातचीत को लंबा खींचकर शिवसेना को मूर्ख बना रही है.
रामदास ने दावा किया कि भाजपा सरकार में राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार को गिराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया.
उल्लेखनीय है कि भाजपा-शिवसेना का 25 साल पुराना रिश्ता विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों के बंटवारे के सवाल पर टूट गया था. दोनों दलों का गंठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने भाजपा और उसके शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी तक को कोसा. चुनाव अभियान में कई गंभीर आरोप लगाये. वहीं, मोदी ने घोषित तौर पर शिवसेना पर तो कोई सीधा हमला नहीं किया, लेकिन इशारों में उन्होंने शिवसेना पर हमले करने में कसर भी नहीं छोड़ी. दोनों दलों के रिश्तों में इस तरह के खटास के बाद अब जब बातचीत की कवायद शुरू हुई तब शिवसेना नेता का मूर्ख बनाने संबंधी बयान से भी यह सवाल उठता है कि इनके रिश्ते आखिर हैं कैसे? ये मैत्रीपूर्ण संबंध हैं या कुछ और?
गौरतलब है कि 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के 122 सदस्य है, जबकि शिवसेना के 63 सदस्य है. इस आंकडे को देखते हुए लग रहा है कि दोनों पार्टियों को एक दूसरे के करीब आना ही होगा और जानकारों के मुताबिक यह गठबंधन दोनों के लिए ही फायदेमंद हो सकता है.लेकिन कौन कितना फायदा चाहता है इसको लेकर संशय बरकरार है.

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