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जल्द ही पिघलेगी भारत-पाक के तल्ख रिश्तों की बर्फ : प्रोफेसर गजाली

आजमगढ : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जज और इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद के प्रोफेसर मोहम्मद अल गजाली का मानना है कि परस्पर उदारता दिखाने और इंसानियत तथा मजहब के प्रति अपना फर्ज निभाने से हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच तल्ख रिश्तों की बर्फ पिघल सकती है. प्रोफसर गजाली यहां शिबली एकेडमी के शताब्दी समारोह […]

आजमगढ : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जज और इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद के प्रोफेसर मोहम्मद अल गजाली का मानना है कि परस्पर उदारता दिखाने और इंसानियत तथा मजहब के प्रति अपना फर्ज निभाने से हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच तल्ख रिश्तों की बर्फ पिघल सकती है.

प्रोफसर गजाली यहां शिबली एकेडमी के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेने आये थे. उन्होंने कहा कि एक जज होने के नाते वह भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन एक आम पाकिस्तानी और मुसलमान होने के नाते वह यह जरूरकहेंगे कि जल्द ही एक ना एक दिन ऐसा जरूरआएगा जब दोनों मुल्कों के बीच की तल्खियां नफरतें और दुश्मनी न्यूनतम स्तर पर पहुंचेगी.
उन्होंने कहा कि हर मुल्क को इस काबिल होना चाहिए कि वह चाहे वह जातीय हो, सांस्कृतिक, राजनीतिक या आर्थिक हो, अपने संकीर्ण दायरे से उपर उठ सके. दुनिया में हो रही तब्दीलियों के साथ कैसे तालमेल बैठाये और अवसरों का फायदा उठायें. यह हम सबको करना चाहिए.
शिबली एकेडमी के सदी समारोह में शिरकत करने वाले एकमात्र पाकिस्तानी प्रतिनिधि गजाली ने कहा कि कोई भी मुल्क खुद को बाकी दुनिया से अलग थलग नहीं रख सकता. हमारे अपने भाई, पडोसी और साझीदार से मतभेद होते है लेकिन उनको भुलाकर हम किसी स्तर पर एक-दूसरे से बात कर सकते हैं.
प्रोफेसर ने कहा कि इंसानी खानदान की वैश्विक समानताओं को मानना उस स्तर पर परस्पर सम्पर्क बनाये रखना, उस स्तर पर अमन-ओ-सुकून की कोशिश करना जिसका फायदा पूरी इंसानियत को पहुंचे, हमारा पवित्र कर्तव्य है.
शिबली एकेडमी के सदी समारोह में शिरकत को जिंदगी का यादगार मौका बताते हुए गजाली ने कहा कि इस इदारे की हर ईंट और हर दरवाजा अल्लामा शिबली नोमानी की याद दिलाता है.
उन्होंने कहा कि इस विश्वविख्यात इस्लामी शोध संस्थान का बहुत बडा योगदान है. मुसलमानों के चिंतन, उनके रवैये और उनकी जिंदगी को ठीक करके उनको बेहतर इंसान, बेहतर मुलसमान और बेहतर हिन्दुस्तानी बनाने में शिबली एकेडमी का बहुत बडी योगदान है.
प्रोफेसर गजाली ने कहा कि शिबली एकेडमी ने साहित्य में, इतिहास में, आत्मकथाओं में और धार्मिक पहलुओं पर ऐसे काम किये है कि उनमें से हर कोई खुद में इल्म के नये चश्मे खोल रहा है.
उन्होंने कहा कि अल्लमा शिबली नोमानी की हर किताब एक नया रुख तय करने वाली है और इतिहास में ऐसे बहुत कम लोग है जिनकी हर किताब सर्वोच्च मानकों को छूती हो.

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