नयी दिल्ली : दिल्ली में इमारतों के उंचाई में विस्तार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ के प्रयासों पर अपना विरोध दोहराते हुए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आज कहा कि जब तक वह जिंदा हैं, उंची इमारतों का निर्माण नहीं होने देंगी.
मुख्यमंत्री उंची इमारतों के निर्माण का विरोध करती रहीं हैं और उनकी दलील है कि इससे शहर में मौजूदा संसाधनों तथा बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा और पारिस्थितिकी पर भी गंभीर असर होगा. उन्होंने औद्योगिक संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं आपसे सहमत हूं कि दिल्ली में आखिरकार शायद उंची इमारतों की जरुरत पड़ेगी.
लेकिन जब तक मैं जीवित हूं, ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.’’ इससे पहले समारोह में कई वक्ताओं ने शहर के लंबवत विस्तार की जरुरत बताई. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इमारतों के उंचाई में विस्तार की जोरदार तरीके से वकालत करते रहे हैं. मौजूदा नियमों के अनुसार आवासीय क्षेत्रों में किसी इमारत की उंचाई 15 मीटर से ज्यादा नहीं हो सकती.
शहरी विकास मंत्रलय फिलहाल दिल्ली के मास्टर प्लान-2021 की समीक्षा की प्रक्रिया में है और कई संशोधनों को जल्दी अंतिम रुप दे सकता है. इससे कुछ ही दिन पहले दिल्ली के शहरी विकास मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कमलनाथ की राय का समर्थन करते हुए मांग की थी कि यदि इस तरह की नीति को अंतिम रुप दिया जाता है तो मौजूदा बुनियादी ढांचे की उंचाई में विस्तार के लिए केंद्र से पर्याप्त धन दिया जाना चाहिए.
शीला दीक्षित ने अपने संबोधन में उत्तराखंड में बाढ़ की आपदा का जिक्र करते हुए अनियमित निर्माण कार्यों को जिम्मेदार ठहराया. दिल्ली में पारिस्थितिकी-तंत्र के संरक्षण पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक पौधे लगाकर हरित क्षेत्र का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए.