गुप्तकाशी : उत्तराखंड के र्जे र्जे में जहां कुदरत की बेहिसाब खूबसूरती बांहें फैलाए खड़ी थी वहां अब मरघट की शांति है. तबाही ने हर कदम पर अपने निशां छोड़ दिए हैं और लापता लोगों के परिवारों के बचे खुचे सदस्य भी अपने घरों को रवाना हो चुके हैं. ऐसे में सीआईडी के डा दयाल सरन और उनके फोरेंसिक अधिकारियों की टीम केदारनाथ घाटी में लावारिस शवों से डीएनए एकत्र करने के दुरुह अभियान पर निकली है.
फोरेंसिक विशेषज्ञों की यह टीम बाढ़ और भूस्खलन से तबाह हुए इलाकों में टनों मलबे के नीचे से निकाले गए शवों के डीएनए एकत्र कर उनका एक डाटाबेस तैयार करेगी ताकि उनकी पहचान हो सके. यहां चारधाम हैलीपैड पर सरन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ हम शवों से डीएनए के नमूने एकत्र करेंगे. मुख्य रुप से हम उनके जड़ समेत बाल,त्वचा के टुकडे और दांत निकालेंगे. हम एकत्र किए गए आंकड़ों का एक डेटाबेस तैयार करेंगे और उसके बाद शिनाख्त की प्रक्रिया शुरु होगी.’’
उन्होंने बताया कि वह और उनकी पांच सदस्यीय टीम उन्हें केदारनाथ ले जाए जाने के लिए हेलिकाप्टर का इंतजार कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘ डीएनए संग्रहण के पूरे अभियान में करीब दो दिन का समय लगेगा. उसके बाद शवों का अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा. पुलिस भी हमारे साथ है और वे ‘पंचानामा’ तैयार करने की औपचारिकताएं पूरी करेंगे.’’ ‘पंचानामे’ में शव का ब्यौरा होता है जिससे बाद में उसकी शिनाख्त करने में मदद मिलती है.