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मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं सियासतदां:जसवंत

नयी दिल्ली : देश की मौजूदा आंतरिक सुरक्षा की स्थिति के लिए राजनीतिकों को जिम्मेदार ठहराते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने आज कहा कि जब तक सियासतदां देश की सुरक्षा के बारे में सोचना शुरु नहीं करेंगे यह हालात बने रहेंगे. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में विदेश और […]

नयी दिल्ली : देश की मौजूदा आंतरिक सुरक्षा की स्थिति के लिए राजनीतिकों को जिम्मेदार ठहराते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने आज कहा कि जब तक सियासतदां देश की सुरक्षा के बारे में सोचना शुरु नहीं करेंगे यह हालात बने रहेंगे.

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में विदेश और रक्षा मंत्री रह चुके सिंह ने कहा कि आज की आतंरिक सुरक्षा की स्थिति के लिए ‘‘केवल राजनीतिक ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि वही शासन के शीर्ष पर हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘शासन की कमी है और यह स्थिति तब तक जारी रहेगी, जब तक कि राजनीतिक देश की सुरक्षा के बारे में सोचना शुरु नहीं करते. उन्हें और चीजों से उपर उठना होगा और पांच साल बाद चुनाव जीतने से आगे सोचना होगा.’’

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अनुसंधान फाउंडेशन द्वारा यहां ‘राष्ट्रीय पहचान और सुरक्षा को व्याप्त खतरे’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से लेकर 2002 तक विशाल सीमाओं वाले भारत को अपने द्वीपों की संख्या तक का पता नहीं था. ऐसा इसलिए था कि हमें अपनी सीमाओं की परवाह ही नहीं थी. भाजपा नेता के अनुसार, ‘‘2002 में कारगिल युद्ध के बाद उसकी समीक्षा के लिए समितियां बनने के पश्चात हमने अपने द्वीपों के क्षेत्रों की सुध ली और तब पहली बार अंडमान और निकोबार कमांड का गठन हुआ.’’ उन्होंने कहा कि सीमाओं को लेकर चीन और पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की गलत नीतियों का परिणाम हैं.

सिंह ने कहा, ‘‘जब चीन मुक्त हुआ, उसने सबसे पहले अपनी आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं को मजबूत किया लेकिन जब भारत आजाद हुआ, पंडित नेहरु की पहली चिंता विश्व में और अधिक लोकप्रिय बनने की थी.’’उन्होंने कहा कि भारत विश्व में अकेला देश होगा जिसका इतना विशाल क्षेत्र है लेकिन उसकी सीमाएं स्वतंत्रता के 66 साल बाद भी परिभाषित नहीं हैं. इससे पहले इसी गोष्ठी में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल :अवकाश प्राप्त: एस के सिन्हा ने कहा भारत को पाकिस्तान, चीन और नक्सलवाद से खतरे की अनुभूति है. सिन्हा ने कहा कि कश्मीर समस्या भारतीय नेतृत्व द्वारा एक के बाद एक बड़ी भूल करने की वजह से है. इनमें पंडित नेहरु का कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र जाना और जनमत संग्रह के लिए सहमत होना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर को लेकर हमारे पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है, इस मुद्दे को सुलझाने का कोई खाका नहीं है, सिवाए लगातार यह कहते रहने के कि ‘कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है’.’’ चीन द्वारा हाल में भारत की सीमाओं के भीतर घुसपैठ किए जाने की घटना पर सिन्हा ने कहा कि उसके बाद दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में ‘घुसपैठ’ शब्द का उल्लेख क्यों नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनके इरादों के बारे में जानकारी नहीं है, क्योंकि चीन बिना वजह इस तरह के कदम नहीं उठाता है.’’

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