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उप्र है मोदी मिसाइल का निशाना

लखनऊ : भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (राजग) में अपने 17 साल के साथी जनता दल (यूनाइटेड) की कीमत पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर जो दांव खेला है उसकी असली परीक्षा उत्तर प्रदेश में होगी और राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि भाजपा की मोदी मिसाइल […]

लखनऊ : भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (राजग) में अपने 17 साल के साथी जनता दल (यूनाइटेड) की कीमत पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर जो दांव खेला है उसकी असली परीक्षा उत्तर प्रदेश में होगी और राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि भाजपा की मोदी मिसाइल का निशाना भी यही राज्य है.

मुख्य विपक्षी दल के मोदी दांव की कामयाबी को लेकर चल रही कयासबाजियों के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर आशुतोष मिश्र ने से बातचीत में कहा कि भाजपा का यह दांव उत्तर प्रदेश में पिछले छह लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से प्रेरित है.

इस उल्लेख पर कि भाजपा तो बे-लगाम महंगाई, भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरने की बात कह रही है, फिर आडवाणी की नाराजगी और जदयू से गंठबंधन तोड़ने की कीमत पर मोदी को आगे क्यों किया, मिश्र ने कहा कि राजनीति में कुछ बातें कही जाती हैं और कुछ बातें बिना कहे कही जाती हैं, जिसे मेसेजिंग कहते हैं.

यह बताते हुए कि मेसेजिंग ट्रिगर मैकेनिज्म का हिस्सा है, जिसका मतलब होता है पक्ष में करंट पैदा करना. उन्होंने कहा कि मोदी भाजपा के उसी मैकेनिज्म की कुंजी हैं- जो विरोधियों में गुजरात दंगों के लिए कोसे जाते हैं तो प्रशंसकों में गुजरात के विकास के लिए सराहे जाते हैं यही उनकी यूएसपी है.

भाजपा में मोदी को आगे बढ़ाए जाने को लेकर जहां एक ओर पार्टी और राजग में भी नाराजगी तथा मान-मनौव्वल का खेल चल रहा है और विपक्षी दल मोदी मिसाइल को बेअसर तथा बेमतलब करार दे रहे हैं, पार्टी उनके लिए लांचिंग पैड तैयार करने में लगी है.

राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि भाजपा ने मोदी के खास सिपहसालार और सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ कांड के आरोपी अमित शाह को राष्ट्रीय महासचिव और फिर उत्तर प्रदेश का केंद्रीय प्रभारी बनाकर पहले ही यह संदेश दे दिया है कि उसने मोदी दांव खास उत्तर प्रदेश को ध्यान में रखकर खेला है.मिश्र ने कहा कि चुनावी आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा की कामयाबी उत्तर प्रदेश में उसके प्रदर्शन पर निर्भर रही है.उन्होंने कहा, वर्ष 1991 में पार्टी ने पहली बार लोकसभा में 100 सीटों का आंकड़ा पार किया था और तब उसे उत्तर प्रदेश की 85 लोकसभा सीटों में 51 सीटें मिली थीं. मिश्र ने पिछले चुनाव परिणामों और उनके फलितार्थ बताते हुए कहा, वर्ष 1996 में भाजपा पहली बार 161 सीटों के साथ लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और तब उसे इस सूबे की 85 में से 52 सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने हालांकि वह सरकार बहुमत के अभाव में 13 दिन ही चल पायी. इस जिक्र के साथ कि साल 1998 में लोकसभा में भाजपा को मिली कुल 182 सीटों में उत्तर प्रदेश से 57 सीटें शामिल थीं और 1999 में 182 में इस सूबे ने 29 सीटों का योगदान किया था ,मिश्र ने कहा कि अब तक तीन बार केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में राजग की सरकार बनी है और तीनों बार उत्तर प्रदेश का योगदान सबसे ज्यादा रहा है.

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