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मानहानि का मामला : साबिर अली के शिकायत वापस लेने के बाद नकवी बरी

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अदालत ने पूर्व जदयू नेता साबिर अली द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में आज उस समय बरी कर दिया जब उसे बताया गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है. अली ने मोदी मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री नकवी से 16 […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अदालत ने पूर्व जदयू नेता साबिर अली द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में आज उस समय बरी कर दिया जब उसे बताया गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है.

अली ने मोदी मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री नकवी से 16 सितंबर को कहा था कि वह इंडियन मुजाहिदीन के गिरफ्तार सह संस्थापक यासीन भटकल से कथित तौर पर उनका नाम जोडने के लिए ‘‘लिखित में माफी मांगें.’’ अदालत ने नौ जुलाई को मामले में नकवी को जमानत प्रदान कर दी थी. आज मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन के समक्ष कार्यवाही शुरु होते ही अली की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता और नकवी के बीच समझौता हो गया है तथा मामला सुलझ गया है.

अली के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि वह उनके मुवक्किल द्वारा नकवी के खिलाफ इस साल के शुरु में दायर की गई आपराधिक मानहानि की शिकायत वापस लेने के लिए पहले ही आवेदन दायर कर चुके हैं. मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के मद्देनजर वर्तमान शिकायत वापस ले ली गई है, तदनुसार आरोपी :नकवी: को बरी किया जाता है.

भाजपा नेता नकवी को नौ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद में अल्पसंख्यक एवं संसदीय मामलों के राज्यमंत्री के रुप में शामिल किया गया था. अदालत ने पूर्व में नकवी को यह कहकर आरोपी के रुप में सम्मन जारी किया था कि मामले में उनके खिलाफ ‘‘प्रथम दृष्टया’’ सबूत और पर्याप्त आधार है.

अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि नकवी ने मार्च में उन्हें संदिग्ध आतंकवादी भटकल का मित्र बताया था और सोशल मीडिया, अखबारों तथा टीवी चैनलों के जरिए यह खबर पूरे देश तथा विदेशों में भी फैल गई. पूर्व जदयू नेता ने कहा था कि इस साल मार्च में उनके द्वारा नरेंद्र मोदी, जो उस समय प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार थे, की सराहना किए जाने के बाद उन्हें जदयू से निकाल दिया गया था.

अली ने आरोप लगाया था कि भाजपा में उनके शामिल होने के तीन..चार घंटे बाद उन्हें उनके रिश्तेदारों, मित्रों और मीडिया के लोगों से फोन आने शुरु हो गए कि नकवी ने ट्विटर पर उनके खिलाफ कथित ट्वीट किया है. भाजपा ने नकवी के ट्वीट से उत्पन्न विवाद के बाद 29 मार्च को अली की सदस्यता रद्द कर दी थी. अली ने अदालत के समक्ष अपने बयान में कहा था कि नकवी के ट्वीट से समाज की नजरों में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई, जिससे उन्हें और उनके परिवार को गंभीर मानसिक पीडा झेलनी पडी.

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