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भाजपा के खेल में उलझ गयी शिवसेना, अब विपक्ष में बैठने की आयी नौबत
मुंबई : गंठबंधन और सरकार में शामिल होने के सवाल पर भाजपा के गेमप्लान में शिवसेना बुरी तरह उलझ गयी है. लंबे समय तक दोनों दलों के बीच चली रस्साकशी के बाद शिवसेना को आज से शुरू हुए महाराष्ट्र विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र में विपक्ष में बैठना पडा. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने […]
मुंबई : गंठबंधन और सरकार में शामिल होने के सवाल पर भाजपा के गेमप्लान में शिवसेना बुरी तरह उलझ गयी है. लंबे समय तक दोनों दलों के बीच चली रस्साकशी के बाद शिवसेना को आज से शुरू हुए महाराष्ट्र विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र में विपक्ष में बैठना पडा. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे 12 नवंबर की सुबह भाजपा के साथ गंठबंधन पर फैसला करेंगे.
उल्लेखनीय है कि इस दौरान ठाकरे भाजपा से सरकार में साङोदारी पर अंतिम बातचीत करेंगे. अगर उनकी पार्टी को सरकार में उचित हिस्सेदारी नहीं मिलेगी तो विपक्ष में ही फाइनल तौर पर बैठने का निर्णय लिया जायेगा. 12 तारीख को ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को अपनी सरकार के लिए सदन का विश्वास मत हासिल करना है. हालांकि इस बीच वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने आज कहा है कि शिवसेना के साथ रिश्तों पर कुछ सवाल है, जिनका समाधान ढूंढना है.
उधर, महाराष्ट्र के मामलों को देख रहे भाजपा महासचिव व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रतात रूडी ने मीडिया से कहा है कि शिवसेना से बातचीत चल रही है. उम्मीद है कि हल जरूर निकल जायेगा. शिवसेना ने भाजपा से महाराष्ट्र में कई अहम मंत्रलय मांगे हैं. इस सूची में गृह, लोक निर्माण सहित वैसे मंत्रलय हैं, जो सीधे जन सरोकार से जुडे हैं. भाजपा शिवसेना को गृह मंत्रलय देने के लिए तो बिल्कुल ही तैयार नहीं है. दूसरे अहम मंत्रलय को भी देने के पक्ष में वह नहीं है. इसी कारण कल केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में शिवसेना के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए.
लोकसभा चुनाव के दौरान ही चले नरेंद्र मोदी लहर पर सवार भाजपा को यह पक्का भरोसा था कि उसे महाराष्ट्र में बढत मिलेगी. ऐसे में उसने पहले शिवसेना पर सीटों की संख्या बढाने का दबाव बनाया, उसके बाद हारने वाली सीटों को बदलने की पेशकश कर दी. फिर छोटे सहयोगियों के हितों का बहाना बना कर शिवसेना के साथ नहीं जाने को तैयार हुई.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने कई मुंबई दौरों के दौरान शिवसेना प्रमुख से भेंट नहीं की या फिर उनके नेताओं से मुलाकात की. गंठबंधन टूटने से पहले ही भाजपा अपने बैनर के तले प्रचार शुरू कर चुकी थी और शिवसेना का नाम प्रचार में लेना बंद कर दिया गया था. लेकिन मराठी अस्मिता का सवाल खुद पर भारी न पड जाये, इसलिए भाजपा ने महाराष्ट्र के अपने कद्दावर नेताओं को शिवसेना का जवाब देने के लिए मोर्चे पर तैनात कर दिया.
वहीं, नरेंद्र मोदी जोरशोर से महाराष्ट्र के गौरव व वहां के महापुरुषों को सम्मान देने की बात करते रहे. इस पूरे खेल में पिछले डेढ दो महीने में भाजपा व शिवसेना खेमे से पल पल परस्पर विरोधी व भ्रम उत्पन्न करने वाली खबरें आती रहीं. जैसे, रविवार को ही शिवसेना के केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने के सवाल पर कई तरह की खबरें आयीं. और, आज अंतत: भाजपा के चक्र व्यूह में उलझी शिवसेना को विपक्ष में बैठना पडा.
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