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स्थानीय लोग भाग रहे हैं उत्तराखंड से

नयी दिल्ली : उत्तराखंड में बचाव एजेंसियों को राज्य के विभिन्न गांवों के स्थानीय निवासियों से कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे भी फंसे हुए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के साथ प्रभावित क्षेत्रों से भाग रहे हैं. आईटीबीपी प्रमुख अजय चड्ढा ने बाढ़ प्रभावित राज्य में राहत अभियानों के पांचवें दिन कहा […]

नयी दिल्ली : उत्तराखंड में बचाव एजेंसियों को राज्य के विभिन्न गांवों के स्थानीय निवासियों से कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे भी फंसे हुए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के साथ प्रभावित क्षेत्रों से भाग रहे हैं. आईटीबीपी प्रमुख अजय चड्ढा ने बाढ़ प्रभावित राज्य में राहत अभियानों के पांचवें दिन कहा कि उन्होंने कल से केदारनाथ मंदिर क्षेत्र से तकरीबन 25 हजार लोगों को बचाया है.

चड्ढा ने अभियान की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय लोग अब अपने आवास से बाहर आ रहे हैं क्योंकि वे भी अशांत क्षेत्र को छोड़ना चाहते हैं. फंसे हुए लोगों के साथ उन्हें भी बचाया जा रहा है.’’चड्ढा ने कहा कि एजेंसियां अब विस्तार करने और राज्य के विभिन्न हिस्सों में बड़े हेलिपैड बनाने का प्रयास कर रही हैं ताकि एमआई-17 जैसे बड़े हेलिकॉप्टर उतर सकें और अधिक लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के दौरान और अधिक भोज्य पदार्थ और पानी पहुंचा सकें.

डीजी ने कहा कि करीब 500 से 700 लोग अब भी केदारनाथ इलाके में मौजूद हैं और बचाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. चड्ढा ने कहा, ‘‘बचाव अभियान में दो से तीन दिन और लगना चाहिए. हम अधिक से अधिक लोगों को बचाने में सफल हो रहे हैं क्योंकि मौसम बेहतर हो रहा है और साजो-सामान में सुधार हो रहा है.’’ चड्ढा ने कहा कि गौरीगांव से 350 लोगों को विमान से दूसरे स्थान पहुंचाया गया जबकि केदारनाथ के निकट रामबाड़ा से 276 लोगों को बचाया गया. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने जोशीमठ और बद्रीनाथ के बीच एक रस्सी का पुल भी बनाया ताकि उन लोगों को वहां से निकाला जा सके जो खो चुके हैं या खराब मौसम के कारण वहां शरण लिए हुए हैं.

चड्ढा ने कहा कि आईटीबीपी अब अधिक से अधिक पुल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बीच संपर्क तैयार कर रही है. उन्होंने कहा कि बचाव कार्य में अधिक हेलिकॉप्टरों को लगाया गया है.

गंगा में तैरते मिले 40 शव

बेपनाह खूबसूरती के लिए मशहूर उत्तराखंड प्रकृति की ऐसी विनाशलीला का दंश ङोल रहा है जिससे उबरने में महीनों लग जाएंगे. दुर्गम पहाड़ों के बीच चारों ओर मौत का सन्नाटा है और जिंदा बचे लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं. सैंकड़ों लोग टनों मलबे के नीचे दबे हुए हैं. इस आपदा की भयावह तस्वीरें एक एक कर सामने आ रहीं हैं और आज हरिद्वार के पास गंगा में तैरते हुए 40 शवों को निकाला गया. राज्य में आई इस भयावह आपदा में अब तक मृतक संख्या 207 पहुंच गयी है. उधर बचावकर्मियों ने पर्वतीय राज्य के अनेक दुर्गम स्थानों में अब भी फंसे हुए 50,000 लोगों को निकालने के काम को और रफ्तार दे दी है.

एक सप्ताह पहले राज्य में भारी मॉनसून के प्रकोप के बाद से सेना, वायु सेना और आईटीबीपी समेत अनेक एजेंसियों द्वारा युद्धस्तर पर शुरु किये गये अभियानों में करीब 34,000 लोगों को निकाला जा चुका है.वायु सेना ने राहत और बचाव के काम के लिए 13 और हेलीकॉप्टरों को लगाया है और इस तरह अभियान में कुल मिलाकर 43 हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं.वायु सेना ने एमआई-26 हेलीकॉप्टर को सीमा सड़क संगठन के लिए जरुरी ईंधन और भूस्खलन के बाद बंद हुए रास्तों को साफ करने के लिए जरुरी संसाधनों को पहुंचाने के लिए लगाया है.

उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा है कि मृतक संख्या काफी ज्यादा और स्तब्ध करने वाली हो सकती है. इससे साफ संकेत है कि हालात सामान्य होते होते यह आपदा बड़ी विनाशलीला कर चुकी होगी और भारी संख्या में लोगों को लील चुकी होगी. फंसे हुए लोगों को पिछले कुछ दिन से कुछ भी खाने को नसीब नहीं होने की खबरों के बाद खाने के पैकेट पहुंचाने के प्रयास भी तेज कर दिये गये हैं.

यात्रियों के लिए रेलवे ने शुरु की विशेष ट्रेनें

उत्तराखंड में भयंकर बारिश और विनाशकारी बाढ से प्रभावित तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए रेलवे विशेष ट्रेनें चला रहा है. इन पर्यटकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए कोई किराया भी नहीं लिया जाएगा.
एक वक्त खाकर जिंदगी के लिए दुआ करते रहे लोग
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि विशेष ट्रेनों का परिचालन हरिद्वार रेलवे स्टेशन से किया जा रहा है. कल लखनऊ, अंबाला और दिल्ली के लिए विशेष ट्रेनें रेलवे ने चलायी. उन्होंने बताया कि बाढ में फंसे ऐसे यात्रियों को, जिन्हें अब सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है, रेलवे मुफ्त में उनके गंतव्य तक पहुंचाएगा. रेलवे प्रशासन खाली कोचों के इंतजाम में लग गया है और उन्हें हरिद्वार भेजा जा रहा है.

कल उत्तराखंड जायेंगे शिंदे
उत्तराखंड में आयी भारी तबाही के बाद कल गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे प्रदेश का दौरा करेंगे. आज सरकार की ओर से मनीष तिवारी(सूचना एवं प्रसारण मंत्री ) ने उत्तराखंड में मची तबाही के बारे में जानकारी दी.उन्होंने कहा कि उतराखंड में लगभग 33 हजार लोगों को बचाया गया है. अबतक 201 लोगों के मारे जाने की खबर है.

17 आर्मी के और 11 निजी हेलीकॉप्टर बचाव कार्य में लगे हैं. 207 मोबाइल टावर बंद पड़े हुए है. हालांकि इमरजेंसी नंबर जैसे 100,101,108 काम कर रहे हैं. अबतक 18 शव बरामद किये गये हैं. भारी बारिश से तबाह हो चुके उत्तराखंड में आज व्यापक बचाव अभियान शुरु किया गया है और केदारनाथ तथा बद्रीनाथ से करीब नौ हजार लोगों को निकालने के लिए 40 हेलीकॉप्टर सेवा में लगाये गये हैं जबकि राज्य सरकार ने कहा है कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या चौंकाने वाली हो सकती है.

अधिकारियों ने कहा कि आज का राहत और बचाव अभियान मुख्य रुप से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में चलाया जायेगा ,जहां 250 लोग फंसे हुये हैं. उन्होंने कहा कि इसके बाद अभियान बद्रीनाथ की ओर केंद्रित होगा जहां नौ हजार लोग फंसे हुये हैं. बचाव अभियान के गति पकड़ने के बीच उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा है कि हताहतों की संख्या इतनी अधिक हो सकती है जो चौंका दे.

इसे सहस्राब्दी की सबसे भीषण त्रासदी करार देते हुये कृषि मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा, सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में पूरे आधारभूत ढांचे को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा है कि उससे उबरने में हमें कम से कम पांच साल लगेंगे. केदारनाथ इलाके की यात्रा करने वाले रावत ने कहा कि वह वहां पर पांच घंटे रहे और इमारतों और मंदिर के आसपास के इलाके में हुये व्यापक नुकसान को देखकर स्तब्ध हैं. रावत ने कहा, आस्था का केंद्र कब्रिस्तान में बदल गया है.
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इलाके में शव इधर उधर पड़े हुये हैं. केवल गर्भगृह ही बचा है. कहा जा रहा है कि हजारों लोग अभी भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुये हैं जो ऊंचाई वाले इलाकों में बादल फटने और बाढ़ से प्रभावित हुये हैं. इससे कई लोगों के घर तबाह हो गये और हजारों लोग लापता हैं. आधिकारिक रुप से मरने वालों की संख्या अब भी 150 है लेकिन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि मरने वालों की संख्या सैंकड़ो हो सकती है और यह तभी पता चल सकेगा जब इलाके में लोग जा सकेंगे और पानी का स्तर घटेगा. भारतीय वायुसेना ने राज्य में 20 एमआई-17 और 16 अत्याधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर तैनात कर रखे हैं और 1500 से अधिक लोगों को बाहर निकाला है. सेना ने अपने आठ हजार जवानों तथा सीमा सड़क संगठन ने अपने तीन हजार से अधिक कर्मियों को तैनात कर रखा है.

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