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पढ़िए मोदी के नये मंत्रियों का पूरा प्रोफाइल, कोई है इंजीनियर,कोई किसान

कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रिकर : दो बार गोवा के मुख्‍यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए मशहूर हैं. मुख्‍यमंत्री जैसे पद पर रहते हुए भी पर्रिकर सादे कपड़े और चप्‍पल पहनकर ही हर प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. अपनी बेबाक टिप्‍पणियों के लिए भी इन्‍हें जाना जाता है. मनोहर पर्रिकर […]

कैबिनेट मंत्री

मनोहर पर्रिकर : दो बार गोवा के मुख्‍यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए मशहूर हैं. मुख्‍यमंत्री जैसे पद पर रहते हुए भी पर्रिकर सादे कपड़े और चप्‍पल पहनकर ही हर प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. अपनी बेबाक टिप्‍पणियों के लिए भी इन्‍हें जाना जाता है. मनोहर पर्रिकर शुरू से ही मोदी के पैरवीकार रहे हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में लालकृष्‍ण आडवाणी के नेतृत्‍व में करारी हार के बाद पर्रिकर ने आडवाणी को सड़ा हुआ अचार कहा था. मुंबई आइआइटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद राजनीति में आये पर्रिकर के लिए शुरुआती करियर काफी चुनौति भरा था. अपने छोटे से परिवार के साथ पर्रिकर ने कई त्‍याग किये और अपने को राजनीति में स्‍थापित किया.

सुरेश प्रभु – सुरेश प्रभु महाराष्ट्र के राजापुर से शिवसेना सांसद हैं. उनकी क्षमता व योग्यता के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें निजी तौर पर पसंद करते हैं. यही कारण है कि शिवसेना ने भाजपा के सामने यह शर्त रख दी कि उन्हें वह अपने ही कोटे से मंत्री पद दे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें कई अहम मंत्रलय में काम करने का अनुभव रहा है. उन्होंने ऊर्जा, पर्यावरण, उर्वरक व रसायन सहित कई अन्य मंत्रलयों में काम किया. उन्हें वाजपेयी ने नदी जोड़ो परियोजना के लिए बनाये गये टॉस्क फोर्स का प्रमुख बनाया था. इंडिया टूडे ने वाजपेयी सरकार में उनकी रैकिंग दूसरे सबसे अच्छा कार्य प्रदर्शन करने वाले मंत्री के रूप में की थी.
जेपी नड्डा : हिमाचल प्रदेश में भाजपा के कदावर नेता नड्डा का राष्‍ट्रीय समिति में अचछी पकड़ है. नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं. पार्टी ने उन्‍हें महाराष्‍ट्र और राजस्‍थान चुनाव के समय दोनों जगहों का प्रभारी भी बनाया था. इसके साथ ही महाराष्‍ट्र में सीएम के चुनाव का जिम्‍मा भी नड्डा को ही सौंपा गया था. हांलाकि नड्डा पूर्व में विवदों में भी रहे हैं. उनपर पूर्व मंत्री हर्षवर्धन से कहकर एम्‍स के सीबीसी का तबादला करवाने का अरोप था. जो उन्‍होंने निजी हित में किया था. नड्डा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त लोगों में से एक माने जाते हैं. एक समय उनकी नियुक्ति से प्रदेश संगठन के और मजबूत होने की उम्मीद भी जतायी गयी थी. नड्डा का कद पार्टी में काफी बड़ा है.
चौधरी वीरेंद्र सिंह – चौधरी वीरेंद्र सिंह हरियाणा के दिग्गज जाट नेता हैं. 40 वर्षो तक कांग्रेस में रहे वीरेंद्र सिंह ने मतभेदों को बाद कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गये. हरियाणा में भाजपा की जीत में उनका बड़ा योगदान रहा है.
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
राजीव प्रताप रूडी : भाजपा के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राजीव प्रताप रूडी ने 2014 लोकसभा चुनाव में बिहार के दिग्‍गज नेता लालू प्रसाद यादव की पत्‍नी और बिहार की पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी को हराया है. इन्‍होंने पायलट की ट्रेनिंग ली है और ये पेशवर पायलट भी हैं. मोदी कैबिनेट में इन्‍हें स्‍वतंत्र प्रभार दिया जायेगा. पढ़ाई पूरी कर राजीव ने कुछ कॉलेजों में अर्थशास्‍त्र के व्‍याख्‍याता के रूप में कार्य किया. राजीव रूडी अनुग्रह नारायण कॉलेज से ही राज्‍य की राजनीति में आना चाहते थे, मगर वे पंजाब विश्‍वविद्यालय से राजनीति में आए. राजीव भाजयुमो के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष रह चुके हैं. इन्‍होंने काफी वृहद पैमाने पर देश-विदेश की यात्रा की है. ये राज्‍यसभा के सांसद भी रह चुके हैं.
महेश शर्मा – डॉ महेश शर्मा उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्ध नगर से भाजपा के सांसद हैं. बचपन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे डॉ शर्मा कॉलेज के दिनों एबीवीपी और उसके बाद भाजपा से जुड़े. 2012 मे वे विधायक और इस साल सांसद चुने गये. 55 वर्षीय डॉ शर्मा पेशे से चिकित्सक हैं और उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्होंने कई तरह के कार्य किये हैं और इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है. एमेटी विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि पायी है.
बंडारू दत्तात्रेय –बंडारू दत्तात्रेय तेलंगाना से भाजपा के वरिष्‍ठ नेता हैं. बंडारू का राजनीतिक जीवन काफी लंबा रहा है. 26 फरवरी 1947 को जन्‍मे बंडारू ने अपनी राजनीतिक यात्रा राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में शुरू की. उन्‍होंने संघ के प्रचार के रूप भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. दत्तात्रेय 10वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा के सदस्‍य रह चुके हैं. बंडारू सिकंदराबाद लोकसभा क्षेत्र से लगातार जीतते रहे हैं. यह क्षेत्र उनका परंपरागत लोकसभा क्षेत्र रहा है. बंडारू अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं.
बंडारू दत्तात्रेय ने इस बार हुए 16वीं लोकसभा का चुनाव इसी लोकसभा क्षेत्र से लड़ा और जीत दर्ज की. उन्‍हें नरेंद्र मोदी सरकार में संसदीय समिति की ओबीसी कोटे से सचिव बनाया गया है. साथ ही दत्तात्रेय भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं.
एक नजर इनके करियर पर
1980 – सचिव, आंध्रप्रदेश बीजेपी
1981-89 – महासचिव, आंध्रप्रदेश बीजेपी
1991 – 10वीं लोकसभा चुनाव लड़े, लोक लेखा समिति के सदस्‍य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक कल्याण समिति के सदस्य
1996-98 – आंध्रप्रदेश बीजेपी के अध्‍यक्ष
1998 – 12 वीं लोकसभा में फिर से सांसद चुने गये. (दूसरे टर्म के लिए)
1998-99 – केंद्रीय राज्‍य मंत्री ( शहरी विकास मंत्रालय )
1999 – 13वीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गये (थर्ड टर्म)
राज्य मंत्री
मुख्तार अब्बास नकवी : भाजपा में अल्‍पसंख्‍यकों का चेहरा हैं नकवी. भाजपा यूपी के इस नेता को मंत्री पद देकर अल्‍पसंख्‍यकों के दिलों में जगह बनाना चाहती है. नकवी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और राम जन्म भूमि आन्दोलन के समय वे अकेले मुस्लिम नेता थे जो बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर निर्माण के समर्थन में बयान देते थे. नकवी कभी इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राज नारायण के करीबी थे और सोशलिस्ट हुआ करते थे. उनकी जनता पार्टी के टिकट पर नकवी ने पहला चुनाव यूपी विधान सभा के लिए इलाहाबाद पश्चिम से लड़ा और हार गए. उसके बाद अयोध्या से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में १९८९ में मैदान में उतरे और फिर हारे. हार का ये सिलसिला थमा नहीं. वे मऊ से भी लगातार तीन बार हारे. फिर वे बीजेपी में शामिल हो गए और 1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए. राजनीति के अलावा नकवी एक लेखक भी हैं और उनकी तीन पुस्‍तकें स्‍याह, 1991, दंगा 1998 और वैशाली 2007 प्रकाशित हो चुकी हैं.
गिरिराज सिंह – गिरिराज सिंह बिहार के नवादा से सांसद हैं. वे अपने उग्र बयानों के लिए जाने जाते हैं. भूमिहार वर्ग से आने वाले गिरिराज नीतीश कुमार के कैबिनेट में मंत्री थे. वे बिहार भाजपा के पहले नेता थे, जिन्होंने नीतीश के मोदी विरोध की खुल कम मुखालफत की.
हंसराज अहिर – हंसराज अहिर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के चंद्रपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. लो-प्रोफाइल इस नेता की सबसे बड़ी पहचान है कि यह जमीनी मुद्दों व वास्तविक समस्याओं पर काम करते हैं. कोयला घोटाले की जांच करवाने और उसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने में इनकी अहम भूमिका है. संगठन के लिए समर्पित होने के बावजूद इन्होंने कभी अपनी निजी महत्वाकांक्षा सार्वजनिक नहीं की. इन्हें कोयला मंत्रलय दिये जाने की संभावना है. प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन नामक संस्था ने इनकी रेटिंग सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में की है. 59 वर्षीय इस नेता ने 15वीं लोकसभा में 24 प्राइवेट मेंबल बिल व 288 अन्य विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया था.
सांवरमल जाट – सांवरलाल जाट राजस्थान के अजमेर से सांसद हैं. वे भाजपा के लिए महत्वपूर्ण जाट चेहरा हैं. एम कॉम व पीएचडी की शिक्षा प्राप्त सांवरमल पेशे से किसान हैं. वे राजस्थान सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं. वे पहली बार सांसद चुने गये हैं. इससे पहले राज्य विधानसभा में वे अजमेर की नसीराबाद विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. उन्होंने सचिन पायलट को इस बार हराया है.
वाइएस चौधरी – वाइएस चौधरी आंध्रप्रदेश से तेलगुदेशम पार्टी के सांसद हैं. 53 वर्षीय इस नेता को तेलगुदेशम पार्टी के कोटे से मंत्री बनाया गया है.
मोहन खुंडरिया – मोहनभाई खुंडरिया गुजरात के राजकोट से सांसद हैं. उन्होंने सीनियर सेकेंड्री तक की शिक्षा पायी है और पेशे से किसान हैं. 62 वर्षीय खुंडरिया पूर्व में राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित होते रहे हैं.
रामकृपाल यादव –रामकृपाल यादव बिहार से भाजपा के एक बड़े नेता हैं. वह सोलहवीं लोकसभा में बिहार के पाटलिपुत्र से निवार्चित होकर संसद पहुंचे हैं. उन्‍होंने आरजेडी ( राष्‍ट्रीय जनता दल) उम्‍मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा यादव को हराकर जीत दर्ज की है. रामकृपाल यादव इससे पहले चौदहवीं लोकसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं.
यादव पहले लालू प्रसाद की पार्टी राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता था. उन्‍होंने 8 मार्च 2014 को आरजेडी ने नाता तोड़ लिया और 12 मार्च को भाजपा का दामन थाम लिया. साफ सुथरी क्षवि के नेता रामकृपाल यादव ने 2009 के लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट पाटलिपुत्र को लालू प्रसाद के लिए छोड़ा था, 2014 के चुनाव में भी उन्‍हें चुनाव न लड़ने और अपनी सीट छोड़ने के लिए पार्टी की ओर से दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन उन्‍होंने इसका विरोध किया और पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गये.
एक नजर इनकी प्रोफाइल पर
जन्‍म – 12 अक्‍टूबर 1957
पार्टी – भाजपा
शिक्षा – बीए, एलएलबी (मगध विश्वविद्यालय)
पत्नी – किरण देवी
बाबुल सुप्रियो –बाबुल सुप्रियो फिल्‍मी दुनिया के एक मशहूर गायक हैं. उन्‍होंने अपनी गायकी के दम पर बॉलीवुड में अपनी चमक बरकरार रखी है. पश्चिम बंगाल के रहने वाले बाबुल ने अपनी करियर एक बैंक कर्मचारी के रूप में शुरू की, लेकिन उनकी संगीत के प्रति रूझान उन्‍हें नौकरी से इस्‍तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया.
बाबुल को फिल्‍मों की दुनिया में लाने का श्रेय मशहूर संगीतकार कल्‍याण जी और आनंद जी को जाता है.
1970 में जन्‍में बाबुल के कई गाने काफी लोकप्रिय हुए. लोगों ने उन्‍हें काफी पसंद किया. उन्‍होंने राजनीति में रूची लेते हुए 2014 में भाजपा की सदस्‍यता ग्रहण की और सालहवीं लोकसभा का चुनाव भी लड़ा. उन्‍हें भाजपा ने बंगाल के आसनसोल से टीकट दी. बाबुल ने भी भाजपा के भरोसे को बरकरार रखते हुए 70, 480 वोटों से जबरदस्‍त जीत दर्ज की.
साध्वी निरंजन ज्योति – साध्वी निरंजन ज्योति उत्तरप्रदेश के फतेहपुर से भाजपा की सांसद हैं. वे साध्वी हैं और भाजपा की हिंदुत्ववादी चेहरा हैं. वे अति पिछड़े समुदाय से आती हैं.
विजय सांपला – विजय सांपला पंजाब के होशियारपुर (अनुसूचित जाति सीट) से भाजपा के सांसद हैं. उन्होंने मैट्रिक तक की औपचारिक शिक्षा पायी है और पेशे से बिजनेसमैन हैं. वे पहली बार सांसद चुने गये हैं. भाजपा पंजाब में उन्हें एक दलित चेहरे के रूप में उभारना चाहती है, ताकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उसे इसका लाभ हो.
रामशंकर कथेरिया : रामशंकर कथेरिया उत्तरप्रदेश की आगरा अनुसूचित जाति सीट से भाजपा सांसद हैं. वे दूसरी बार सांसद चुने गये हैं. ब्रज इलाके में वे पार्टी के प्रमुख दलित चेहरा हैं.

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