नयी दिल्ली: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर करने की वकालत की है.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाने का कोई संवैधानिक प्रावधान या वैधानिक नियम नहीं है और इसलिए किसी उच्च न्यायालय के योग्य मुख्य न्यायाधीश को सीधे उच्चतम न्यायालय का प्रधान न्यायाधीश बनाया जा सकता है.
काटजू को लगता है कि सीजेआई की नियुक्ति के मौजूदा चलन के अकसर अवांछनीय परिणाम आते हैं जिससे न्यायपालिका को बहुत नुकसान होता है.इस संदर्भ में उन्होंने कुछ पूर्व प्रधान न्यायाधीशों की ईमानदारी पर सवाल खडा किया.
उन्होंने आज अपने एक ब्लॉग में लिखा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायपालिका परिवार के प्रमुख होते हैं. और किसी अयोग्य की नियुक्ति से बहुत नुकसान हो सकता है जिसका असर कई साल तक जारी रह सकता है.’’ काटजू का यह बयान प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा के 27 सितंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले आया है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोढा सेवानिवृत्त होंगे तो भारत सरकार को वरिष्ठता नहीं देखनी चाहिए बल्कि सबसे योग्य व्यक्ति को भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करना चाहिए.’’ काटजू ने कहा कि उच्च न्यायालयों में कुछ ऐसे योग्य मुख्य न्यायाधीश हैं जो सीधे सीजेआई के पद पर नियुक्ति के काबिल हैं.