बर्न, नई दिल्ली: कथित एचएसबीसी की सूची के आधार पर स्विट्जरलैंड से जानकारी पाने के भारत के प्रयासों को एक और झटका लगा है. स्विट्जरलैंड सरकार ने आज बैंक ग्राहकों के आंकडों के बेहतर तरीके से संरक्षण पर जोर देते हुए बैंकिंग गोपनीयता का उल्लंघन करने वालों को कडी सजा का प्रस्ताव किया है.
स्विट्जरलैंड सरकार के शीर्ष कार्यकारी निकाय संघीय परिषद ने एक बयान में कहा कि वह संसद की इस पहल का समर्थन करती है कि बैंक ग्राहकों के आंकडे बेचने वाले या इस तरह की गतिविधियों से लाभान्वित होने वाले को कडी सजा मिलनी चाहिए.
स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के जमा काले धन का पता लगाने के लिए भारत सरकार कथित ‘एचएसबीसी’ की सूची के आधार पर संदिग्ध कर चोरों के 700 खातों की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कई महीनों से कर रही है.
हालांकि स्विट्जरलैंड इस मामले में सहयोग नहीं कर रहा है. उसका कहना है कि यह चोरी वाली सूची है और स्थानीय कानून इस तरह के मामलों में सहयोग की इजाजत नहीं देता.स्विट्जरलैंड की एचएसबीसी शाखा में भारतीयों के खातों की यह सूची भारत को फ्रांस सरकार से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संधि के तहत हासिल हुई है. फ्रांस को यह सूची मिली थी. यह सूची एचएसबीसी के एक कर्मचारी ने 2011 में चुराई थी. बाद में ये नाम भारत सहित दुनियाभर के कर विभागों या अधिकारियों के पास पहुंच गए.
भारत ने बाद में स्विट्जरलैंड को पत्र लिखकर इन खातों के बारे में और ब्योरा मांगा. माना जा रहा है कि ये बैंक खाते उन लोगों के हैं जिन पर भारत में कर बकाया है.हालांकि, भारत द्वारा इस बारे में स्विट्जरलैंड से कई बार आग्रह किया गया, जिसे उसने खारिज कर दिया. स्विट्जरलैंड का कहना था कि यह सूचना चोरी के आंकडों के आधार पर मांगी जा रही है और यहां का कानून इसकी इजाजत नहीं देता.
बैंक ग्राहकों आंकडों के बेहतर तरीके से संरक्षण की वकालत करते हुए स्विट्जरलैंड की संघीय परिषद ने आज कहा कि वह इस बारे में आर्थिक मामलों व कराधान समिति की राष्ट्रीय परिषद के प्रस्तावों का समर्थन करती है. संघीय परिषद स्विस सरकार का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है.
परिषद ने कहा कि संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो लोग वित्तीय संस्थानों से चोरी ग्राहकों के आंकडों को आगे करते हैं या अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं, उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाना असंतोषजनक है. ऐसे में परिषद समूचे वित्तीय बाजार क्षेत्र में इस तरह की किसी मौजूदा खामी को समाप्त करने की सिफारिश करती है.
उल्लेखनीय है कि स्विट्जरलैंड ने हाल में कहा था कि भारत की नई सरकार के काले धन के खिलाफ लडाई में सहयोग करने को प्रतिबद्ध है. उसने इस बारे में विचार विमर्श के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल को बर्न आने का न्योता भी दिया है.