नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीडिया पर टिप्पणी करते हुए आज कहा कि सांसदों को कुछ बोलते हुए डर लगता है कि ‘24 घंटे वाले’ जाने क्या रंग दे डाले.मोदी ने संसद भवन परिसर में बालयोगी सभागार में कांग्रेस के करण सिंह, भाजपा के अरुण जेटली और जदयू के शरद यादव को ‘उत्कृष्ठ सांसद’ का पुरस्कार दिये जाने के लिए आयोजित समारोह में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं था. इस संदर्भ में उन्होंने उस घटना का जिक्र किया जब भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने आज के राकांपा नेता शरद पवार पर मजाकिया टिप्पणी करते हुए कहा था कि पता नहीं कि यह शरद पवार हैं या ललिता पवार हैं.प्रधानमंत्री ने कहा कि सुषमा की बात को न सिर्फ पवार ने अच्छी भावना में लिया बल्कि मीडिया ने भी इसे भद्दे ढंग से पेश नहीं किया था.
उन्होंने कहा कि पहले व्यंग्य और विनोद काफी मुखर होता था, लेकिन आज इसकी कमी दिख रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि देश को संसद से बहुत अपेक्षाएं हैं और कभी कभी संसद को भी देखना चाहिए कि जनता उसे कैसे देख रही है. इस बारे में सर्वे करा लेना चाहिए कि वह पूरी संसद को और संसद के सत्र को किस रुप में ले रही है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इससे हमें आगे बढने की प्रेरणा मिलेगी.
मोदी ने कहा कि समय की मांग है कि हमारी हर बात आने वाली पीढियों के लिए प्रेरणा मिले. यह इस दल या उस दल का मामला नहीं है. यह हम सब का सामूहिक दायित्व है.उन्होंने कहा कि हम संसद में वरिष्ठ सांसदों से उच्च आचरण, विचारों की गहराई और सरसता सीख सकते हैं. ‘‘ संसद में बौद्धिक प्रतिभाएं तो बहुत नजर आती हैं, बातों को बढिया ढंग से रखने वाले लोग भी नजर आते हैं लेकिन संसद का काम वक्तव्यों से नहीं चलता.. यह नेतृत्व, कर्तव्य और व्यक्ति के कृतित्व से चलता है.’’
मोदी ने कहा कि मैं स्पीकर महोदया को एक आग्रह करना चाहूंगा कि वे सभी राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुलाकर यह चर्चा करें कि जिस तरह संसद अपने सदस्यों को उत्कृष्ठ सांसद पुरस्कार से सम्मानित करती है, उसी तरह से वे अपने उत्कृष्ठ विधायकों को सम्मानित करें.
पहली बार सांसद बने प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं भी नया हूं, मुझे भी काफी कुछ सीखना है.’’ राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने तीनों सांसदों को उत्कृष्ठ सांसद पुरस्कार प्रदान करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ एक बात मैं कहना चाहूंगा, ईश्वर के लिए दोनों सदनों के सदस्य सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाये रखें जो हमें विरासत में मिली है. हमें इसे और आगे ले जाना है.’’ उन्होंने कहा कि यह (संसद) आजादी का प्रतीक है. इसे बनाये रखना हम सदस्यों की जिम्मेदारी है. राष्ट्रपति ने मोदी का नाम लिये बिना कहा कि उन्हें यह देखकर अच्छा लगा कि लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली पार्टी के नेता ने संसद में प्रवेश करने से पहले उसके द्वार पर झुककर नमन किया. यह संस्था की पवित्रता, गरिमा का सम्मान करने का प्रतीक है.
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन ने कहा कि वर्तमान लोकसभा में पहली बार चुने गए सांसदों की संख्या बहुत अधिक है. ‘‘ मैं चाहती हूं कि हमारे युवा सांसद आज इन सम्मानित सांसदों और वरिष्ठजनों से बहुत कुछ सीखें प्रेरणा लें.’’राज्यसभा सदस्य करण सिंह ने कहा कि संसद व्यवधान डालने का स्थल नहीं है. ऐसे कार्यो से संसद के प्रभाव, गरिमा और महत्व को ठेस पहुंचती है.
अरुण जेटली ने कहा कि संसद विविधतापूर्ण विचारों और अनेक प्रक्रियाओं के बीच देश को आगे बढाने का स्थान है.शरद यादव ने कहा कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी देश को जितना बदलना चाहिए उतना नहीं बदला है. सांसदों को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए.समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मंत्रिपरिषद के सदस्य और दोनों सदनों का काफी संख्या में सांसद मौजूद थे.