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जमीन का होगा आधार की तरह यूनिक नंबर
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जमीन की खरीद-फरोख्त में हो रही धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए जमीन को भी आधार की तरह एक यूनिक नंबर देने की योजना बनायी है. इसके लिए मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनिक लैंड पार्सल नंबर के सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है. इसके तहत जमीन को एक यूनिक आइडेंटिटी […]
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जमीन की खरीद-फरोख्त में हो रही धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए जमीन को भी आधार की तरह एक यूनिक नंबर देने की योजना बनायी है. इसके लिए मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनिक लैंड पार्सल नंबर के सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है.
इसके तहत जमीन को एक यूनिक आइडेंटिटी नंबर दिया जायेगा. इससे जमीन विवाद से निबटने में मदद मिलेगी. यूनिक लैंड पार्सल नंबर को बाद में आधार और रेवेन्यू कोर्ट सिस्टम से लिंक कर दिया जायेगा. एक अधिकारी के मुताबिक, सभी जमीनों को यूनिक आइडेंटिटी नंबर देने से रियल एस्टेट ट्रांजैक्शन में आसानी होगी.
प्रॉपर्टी के टैक्स से जुड़े मामलों में भी मदद मिलेगी. सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन का अधिग्रहण करना आसान होगा. यह लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में कदम होगा. बता दें कि देशभर में जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया चालू है. सर्वे ऑफ इंडिया लेटेस्ट तकनीक की मदद से भारत का डिजिटल नक्शा बनाने की तैयारी में है. ये काम ड्रोन की मदद से किया जायेगा.
इसमें जितने आंकड़े आसमान से जुटाये जायेंगे, उतने जमीन पर भी एकत्र किये जायेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिक नंबर सर्वे किये गये प्रत्येक जमीन को दिया जायेगा. यूनिक आइडेंटिटी नंबर में प्लॉट के साइज और मालिकाना हक के विवरणों सहित राज्य, जिला, तहसील, तालुका, ब्लॉक और सड़क की जानकारी होगी. सरकार का मानना है कि इससे जमीन के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ संभव नहीं होगी और प्रॉपर्टी के विवादों का निबटारा भी आसानी से हो सकेगा.
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