राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल यानी सोमवार शाम को राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया. इस पार्टी में पक्ष-विपक्ष के कई बडे नेता पहुंचे पर प्रधानमंत्री मोदी इफ्तार पार्टी से गायब रहे. पार्टी में नयी सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह , अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नज्मा हेपतुल्लाह, केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान सहित कई गणमान्य लोग पहुंचे लेकिन एनडीए सरकार के मुखिया मोदी जी पार्टी से नदारद थे.
मोदी मुंबई क्यों गये थे
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को मुंबई दौरे के लिए रवाना हो गए थे. और मुंबई से वह देर शाम दिल्ली के लिए रवाना हुए. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मोदी का मुंबई में सोमवार को कोई अर्जेंट कार्यक्रम नहीं था लेकिन वे उस दिन राजधानी से बाहर रहना ही पसंद किये. शायद इफ्तार पार्टी में शामिल होने का उनका इरादा नहीं था. मुंबई में मोदी भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) गये थे. जहां उन्होंने सुरक्षा उपायों का जायजा लिया. मोदी ने बार्क के नयी तकनीकी एवं उपलब्धियों का अवलोकन किया और इसके लिए वैज्ञानिकों की सराहना की. मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डाभोल, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष आर के सिन्हा और बार्क के निदेशक शेखर बसु भी थे.
मोदी को पता था इफ्तार पार्टी की तारीख
राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के अनुसार जब राष्ट्रपति इस तरह का कोई आयोजन करते हैं तो पहले यह देखा जाता है कि उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे नेता शहर में मौजूद हो. इसी आधार पर पार्टी की तारीख तय की जाती है. और प्रोटोकॉल के अनुसार भी यह आवश्यक होता है कि राष्ट्रपति के निमंत्रण पर ये गणमान्य लोग मौजूद रहें. इस साल भी यही तरीका अपनाया गया. पर प्रधानमंत्री अचानक एक दिन के दौरे पर मुंबई चले गये. सरकार के तरफ से अगर कोई नेता पहंचे तो वे थे, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, नजमा हेपतुल्लाह और रामविलास पासवान.
विपक्ष की ओर से सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मार्क्सवादी पार्टी के सीताराम येचूरी, सीपीआई नेता मोहम्मद सलीम, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद सहित कई अन्य लोग इफ्तार पार्टी में शामिल थे.
पीएम ऑफिस से भी इफ्तार पार्टी आयोजन की कोई सूचना नहीं
अबतक मोदी या पीएम ऑफिस के द्वारा भी इफ्तार पार्टी आयोजित किये जाने की कोई सूचना नहीं है. जबकि पूर्व के प्रधानमंत्रियों द्वारा इफ्तार पार्टी आयोजित किया जाना दिल्ली शहर के लिए एक सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के रुप में मनाया जाने वाला कार्यक्रम होता था. और इसकी तिथि भी पूर्व निर्धारित होती थी. कांग्रेस नीत सरकार के जाने के बाद और भाजपा नीत मोदी सरकार के आने के बाद यह पहला रमजान है और मोदी सरकार के इस रवैये से लगता है कि पुरानी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा हर साल आयोजित किया जाने वाला इफ्तार पार्टी को भी वह पुराना कल्चर मानकर भूल जाना चाहती है.