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50 हजार साल पहले बंगाल में भी थे अफ्रीकी शेर

कोलकाता:विलुप्त हो चुकी कई प्रजातियां जिनमें से अब कुछ सिर्फ अफ्रीका में ही पायी जाती है कभी उनका अस्तित्व बंगाल में भी था.ये प्रजातियां पुरुलिया,बांकुरा,पश्चिमी मिदनापुर जिलों के जंगलों में घूमा करती थीं. भारतीय प्राणि सर्वेक्षण जेडएसआई ने हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि पशुओं की इन प्रजातियों में से शिवालिक […]

कोलकाता:विलुप्त हो चुकी कई प्रजातियां जिनमें से अब कुछ सिर्फ अफ्रीका में ही पायी जाती है कभी उनका अस्तित्व बंगाल में भी था.ये प्रजातियां पुरुलिया,बांकुरा,पश्चिमी मिदनापुर जिलों के जंगलों में घूमा करती थीं.

भारतीय प्राणि सर्वेक्षण जेडएसआई ने हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि पशुओं की इन प्रजातियों में से शिवालिक एंटीलोप, शिवालिक नीलगाय, शिवालिक कैटल, पोसरुपाइन, शिवालिक एक्विड और शिवालिक हाथी कई हजार साल पहले से विलुप्त हो चुके हैं.

हालांकि अफ्रीकी शेर, जिराफ, लकडबग्घे की विशेष प्रजाति अब केवल अफ्रीका में ही पाई जाती है. अवजेडएसआई के वरिष्ठ जीवाश्म विज्ञानी टीके पाल और उनके दल को बांकुरा की सुसुनिया पहाडियों की गुफाओं में इन पशुओं के कई साल पुराने अवशेष मिले हैं. ये प्रजातियां यहां 40 हजार से 50 हजार साल पहले पायी जाती थीं.

पाल के मुताबिक सुसुनिया और जंगलमहल के आसपास के इलाकों से उन्हें 80 के दशक के शुरु में विशेष तौर पर 1980-81 में इन पशुओं के अवशेष मिले थे.इन अवशेषों को जेडएसआई की प्रयोगशाला में सुरक्षित रखा गया है और निर्णय लिया गया है कि बंगाल के प्राणि पुरातात्विक अवशेष पर पूरी रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले इनकी उम्र का पता लगाने के लिए परीक्षण किया जाएगा.

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