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हिंदी को लेकर शरद ने यूपीएसी और सरकार दोनों पर साधा निशाना

नयी दिल्ली: सरकार हिंदी में काम करना चाहती है. सरकार अपने फैसलों की जानकरी भी हिंदी में देगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि वे हिंदी में बोलेंगे लेकिन इन भारतीय भाषी छात्रों के हित में कुछ नहीं किया जा रहा. जदयू जदयू अध्यक्ष शरद यादव संघ लोक सेवा आयोग […]

नयी दिल्ली: सरकार हिंदी में काम करना चाहती है. सरकार अपने फैसलों की जानकरी भी हिंदी में देगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि वे हिंदी में बोलेंगे लेकिन इन भारतीय भाषी छात्रों के हित में कुछ नहीं किया जा रहा. जदयू जदयू अध्यक्ष शरद यादव संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पर अनेक क्षेत्रों की मातृ भाषाओं को अलग थलग करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए उक्त बाते कही.

यादव ने यूपीएससी परीक्षा के मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वह संसद में इस विषय को उठाएंगे. उन्होंने केंद्र सरकार पर हिंदी, तमिल और तेलुगू समेत भारतीय भाषाओं का अपमान होने पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप भी मढा.उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से भारतीय भाषाओं के छात्रों के भविष्य को यूपीएससी बर्बाद कर रही है, यह मातृभाषाओं के साथ अलग करने की तरह है. यूपीएससी सुनिश्चित कर रही है कि परीक्षा में भारतीय भाषी विद्यार्थियों की संख्या हर साल कम होती चली जाए.’’ यादव के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि वे हिंदी में बोलेंगे लेकिन इन भारतीय भाषी छात्रों के हित में कुछ नहीं किया जा रहा.

आप भारतीय भाषाओं में वोट मांगते हैं लेकिन इसके लिए कुछ नहीं करते. उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीएससी के सदस्यों की सोच यह है कि देश चलाने के लिए अंग्रेजी बोलना जरुरी है और बिना अंग्रेजी के देश का कोई भविष्य नहीं है.काले धन पर एक सवाल का जवाब देते हुए शरद यादव ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश अपना धन वापस ला सकते हैं लेकिन मौजूदा हालात में इस सरकार के लिए यह संभव नहीं लगता.

क्या जदयू और राजद का गठबंधन भविष्य में जारी रहेगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां हाथ मिलाएंगी जैसा कि उन्होंने राज्यसभा के लिए हाल ही में हुए चुनावों में किया था. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पार्टियां साथ आई हैं और अब हम राज्य की जनता को जोडेंगे.’’

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