नयी दिल्ली:उत्तर और मध्य भारत में भारी बिजली कटौती से परेशान लोगों को बिजली की दोहरी मार ङोलनी पड़ सकती है. यहां तक कि देश भर के लोगों की बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है. 14 जुलाई को बिजली मंत्री को लिखे पत्र में एनटीपीसी के चेयरमैन अरूप रॉय चौधरी ने कहा है कि यदि शीघ्र ईंधन की आपूर्ति नहीं हुई, तो कम से कम छह संयंत्रों को बंद करना पड़ सकता है.
इन छह संयंत्रों से 16,840 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. हालांकि, सरकार ने आश्वासन दिया है कि समस्या से निबटने की कोशिशें हो रही हैं. बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि पिछले पांच साल में महज दो फीसदी कोयला का उत्पादन हुआ. कई खदानों से उत्पादन ही नहीं हुआ. इसलिए यह संकट उत्पन्न हुआ है. उन्होंने कहा कि बिजली संयंत्रों को कोयला लिंकेज को व्यवहार्य बनाने के विषय पर एक समिति बनायी गयी है. यह सभी कोल लिंकेज की समीक्षा करेगी. इससे बिजली संयंत्रों को सबसे नजदीक के खदान से कोयला लिंकेज देने के विषय पर भी विचार होगा. इस बीच, गुरुवार को दिल्ली में बिजली की दरों में 8.32 फीसदी का इजाफा कर दिया गया है.
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीइए) के 15 जुलाई तक के कोयला भंडार से जुड़े आंकड़ों और सरकार को भेजी गयी एनटीपीसी की एक रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश के करीब 50 फीसदी ताप बिजली घर कोयला संकट से जूझ रहे हैं. 100 कोयला आधारित बिजली घरों में 46 के पास सात दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है. इनकी कुल उत्पादन क्षमता 20,000 मेगावाट से अधिक है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक एनटीपीसी कोयले का सबसे अधिक खपत करती है. उसके 23 बिजली घरों में आठ (झज्जर : 1,500 मेगावाट, रिहंद : 3,000 मेगावाट, सिंगरेनी : 2,000 मेगावाट, कोरबा : 2,600 मेगावाट, सिपत : 2,980 मेगावाट, विंध्याचल : 4,260 मेगावाट, सिम्हाद्रि : 2,000 मेगावाट, रामागुंडम : 2,600 मेगावाट) में सिर्फ दो दिन का कोयला बचा है.
कोल इंडिया से कम हो रही है आपूर्त
कोल इंडिया से आपूर्ति में कमी के कारण ये बिजली घर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी और उसकी अनुषंगी इकाइयां सालाना अनुबंधित मात्र की तुलना में कम बिजली की आपूर्ति कर रही हैं. रिपोर्टो के अनुसार, एनटीपीसी ने भी बिजली मंत्रलय से इस मुद्दे पर ध्यान देने को कहा है. बढ़ती गर्मी के बीच उत्तरी व मध्य भारत में बिजली की भारी कटौती हो रही है, जिससे लोगांे को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मॉनसून देगा राहत
नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) में समस्या की वजह से रिहंद और विंध्याचल प्लांट में सप्लाई बाधित हुई है. उधर, गांववालों के विरोध के चलते महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) की टेलकर माइंस में खनन रोक दिया गया है, जिसका सीधा असर सिमहद्री प्लांट पर हुआ है.