एक समय ऐसा था जब कोई भी ‘द हिंदू’ अखबार को छोड़कर जाना नहीं चाहता था, कारण यह था कि भारत का यह प्रतिष्ठित अखबार काम करने के लिए अच्छे माहौल के साथ-साथ अच्छी सैलरी पैकेज और विकास का अच्छा मौका भी देता था.
लेकिन अब परिस्थितियां बदल गयीं हैं. कुछ महीनों पहले अखबार से अचानक ही सिद्धार्थ वर्द्धराजन और अरुण अनंत की विदाई हुई थी, लेकिन अब बारी थी प्रवीण स्वामी और ग्रामीण मामलों के संपादक पी साईंनाथ की. इन खबरों से ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ तो गलत हो रहा है ह्यद हिंदूह्ण के कार्यालय में . कुछ सप्ताह पहले अखबार के वरिष्ठ उपसंपादक डॉ ए श्रीवत्स्न भी अखबार छोड़कर जा चुके हैं.
हिंदू छोड़कर गये प्रवीण स्वामी जो अखबार के स्थानीय संपादक थे उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को नेशनल एडिटर के तौर पर ज्वाइन कर लिया है. पी साईंनाथ अपने ग्रामीण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं और डॉ ए श्रीवत्स्न शिक्षा जगत की ओर लौट गये हैं. एक वेब पोर्टल के अनुसार इस्तीफा देने से पहले प्रवीण स्वामी ने अपने सहयोगियों को एक मेल लिखा, जिसमें उन्होंने यह बताया कि पिछले कुछ महीनों से सबकुछ सुखद नहीं है.
इस बारे में आप सभी जानते हैं. मैंने यह निर्णय किया है कि मैं अपनी ऊर्जा पत्रकारिता को दूंगा, न कि एक ऐसी लड़ाई में व्यस्त रहूंगा जिसका परिणाम कुछ भी नहीं निकलने वाला है. मैं अपने जूनियर और सीनियर लोगोें से माफी चाहता हूं कि मैं उन्हें इस जर्जर स्थिति से नहीं बचा सका. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रवीण स्वामी के और पी साईंनाथ के संबंध प्रबंधन के साथ अच्छे नहीं थे.
संपादकीय विभाग के शीर्षस्थ लोगों से भी उनके मतभेद उभरकर सामने आ गये थे, यहां तक कि मालिनी पार्थसारथी से भी उनका विरोध था. प्रवीण ने अपने टीम में किये गये कई स्थानांतरण का विरोध किया था. सूत्रों का कहना है कि साईंनाथ और संपादकीय के बीच मतभेद इस कारण से भी थे कि उनके कुछ आलेखों को प्रकाशित नहीं किया गया था. ऐसा पहली बार हुआ है कि’द हिंदू’अखबार पर किसी तरह के आरोप लगे हों.
हिंदू के प्रधान संपादक एन रवि का कहना है कि दुर्भाग्यवश साईंनाथ और प्रवीण स्वामी दोनों ही अपनी भूमिकाओं में फिट नहीं बैठ रहे थे. उन्होंने कहा कि दोनों ही बहुत अच्छे पत्रकार हैं लेकिन उन्हें जो भूमिकाएं दी गयीं थीं उसमें वे फिट नहीं बैठ रहे थे और हम अखबार के हितों के बारे में सोचते हैं और सभी लोगों का अच्छा चाहते हैं.
एन रवि के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रवीण स्वामी ने कहा कि वे बिलकुल ठीक कह रहे हैं. हम उन भूमिकाओं में फिट नहीं थे, यह हमारी निंदा नहीं है. कई ऐसी भूमिकाएं हैं, जिनमें हर व्यक्ति फिट नहीं बैठता है. एक संपादक को यह हक है कि वह अपना विजिन तय करे.
सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में अखबार में काफी परिवर्तन नजर आ रहा है. युवाओं के लिए यह अच्छा है क्योंकि उन्हें मौके दिये जा रहे हैं, लेकिन वरिष्ठ लोगों को किनारे किया जाना चौंकाने वाले निर्णय हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि’द हिंदू’बदलाव के दौर में कदम रख चुका है.