नयी दिल्ली : ट्राई के पूर्व अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधान सचिव नियुक्त करने के रास्ते की कानूनी बाधाओं को दूर करनेवाले विधेयक पर मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गयी. राज्यसभा ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण संशोधन विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया. वहीं, इससे संबंधित कांग्रेस के टी सुब्बीरामी रेड्डी के संकल्प को खारिज कर दिया.
लोकसभा इस विधेयक को सोमवार को ही पारित कर चुकी है. यह विधेयक इस संबंध में सरकार द्वारा पूर्व में जारी अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है. अध्यादेश के स्थान पर लाये गये भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे दलों ने यह स्पष्ट किया कि वे संबंधित अधिकारी की निष्ठा और ईमानदारी पर किसी प्रकार की शंका जाहिर नहीं कर रहे हैं.
कानून और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकार संसद की गरिमा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और विपक्ष का इस संबंध में लगाया गया आरोप पीड़ादायक है. हमारी पार्टी के जीवन मूल्य संसद की गरिमा के लिए पूरी तरह स्थायी रहेंगे.
गौरतलब है कि ट्राई (टेलिकॉम ऑथरिटी ऑफ इंडिया) के कानून के मुताबिक ट्राई का कोई भी रिटायर्ड सदस्य किसी भी सरकारी पद पर कार्य नहीं कर सकता है. इस मामले को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया था. लोकसभा में ट्राई बिल लाने से पहले सरकार को विरोधियों के विरोध का समाना करना पडा था. लेकिन बहुमत की सरकार में लोकसभा में ट्राई बिल को पास कराने में कोई खासा परेशानी का सामना नहीं करना पडा.
लेकिन कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों की ओर से ट्राई संसोधन के विरोध किये जाने से सरकार भी असमंजस में थी कि राज्यसभा में बिल का क्या होगा. सोमवार को ही प्रमुख ट्राई बिल के मामले पर कांग्रेस अलग थलग पड गयी, टीएमसी, एसपी, बीएसपी सहित कई और दलों ने ट्राई बिल का विरोध नहीं करने की बात कही थी. सोमवार और मंगलवार को वरिष्ठ पत्रकार वैदिक और 26/11 का दोषी हाफिज के बीच मुलाकात को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की भरपूर कोशिश की. सरकार ने इस मुलाकात से अपना पल्ला पूरी तरह झाड लिया. और इसी हंगामें के साथ राज्यसभा में ट्राई बिल को पास करा लिया.