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Thursday, March 28, 2024

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विपक्षी मोर्चे में शामिल पर 23 मई का रिजल्ट देखने के बाद फैसला करेंगे वाम दल

नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव के एक्जिट पोल के पूर्वानुमानों में बहुत खराब प्रदर्शन की आशंका से घिरे विभिन्न वामपंथी दलों के नेता यूपीए में शामिल होने या किसी गैर-कांग्रेसी संघीय मोर्चा में शामिल होने का फैसला 23 मई के बाद ही करने पर जोर दे रहे हैं. अधिकतर एक्जिट पोल में केरल में कांग्रेस […]

नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव के एक्जिट पोल के पूर्वानुमानों में बहुत खराब प्रदर्शन की आशंका से घिरे विभिन्न वामपंथी दलों के नेता यूपीए में शामिल होने या किसी गैर-कांग्रेसी संघीय मोर्चा में शामिल होने का फैसला 23 मई के बाद ही करने पर जोर दे रहे हैं. अधिकतर एक्जिट पोल में केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ को 14 से 16 सीटें वहीं वाम मोर्चा नीत एलडीएफ को 4 से 6 सीटें मिलने का पूर्वानुमान जताया गया है. राज्य में भाजपा को भी एक सीट मिलने का आकलन है.

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पश्चिम बंगाल में अधिकतर एक्जिट पोल के आंकड़े वामपंथी दलों को एक भी सीट नहीं मिलने की ओर इशारा कर रहे हैं, जहां 34 साल तक वाम मोर्चा की सरकार रही थी. यह मोर्चे का राज्य में अब तक का सबसे बदतर प्रदर्शन हो सकता है.

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि बहुत साफ है कि विपक्षी मोर्चा और उसकी रणनीति 23 मई को चुनाव परिणाम के बाद ही बनायी जा सकती है. एक चीज स्पष्ट है कि केंद्र में एक धर्मनिरपेक्ष, वैकल्पिक सरकार बनेगी. सरकार कौन बनायेगा और कैसे बनेगी, इस बारे में फैसला रिजल्ट आने के बाद किया जायेगा.

इस बीच भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा कि अगर किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता, तो वे विपक्ष में बैठेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 27 से 28 मई को होगी. हम उससे पहले फैसला नहीं लेंगे. अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो हम विपक्ष में बैठेंगे. भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने माना कि यह पिछले कुछ सालों में वाम दलों का सबसे बदतर प्रदर्शन साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि हम क्या भूमिका अदा करेंगे, यह 23 मई के बाद तय होगा.

भाकपा के एक और राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अनजान ने कहा कि पार्टी अपनी भूमिका तय करने के लिए 23 मई से पहले सदस्यों की बैठक नहीं बुलायेगी. मकसद यही रहेगा कि सांप्रदायिक ताकतें सरकार नहीं बनायें.

येचुरी ने कहा कि परंपरागत रूप से चुनाव के बाद बातचीत से ही देश में नयी सरकार के गठन का रास्ता साफ होता है और 2019 में भी इसी तरह की उम्मीद है. हालांकि, वाम नेता किसी भी विपक्षी मोर्चे में ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस के साथ शामिल होने के मुद्दे पर कुछ नहीं कह रहे.

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