नयी दिल्ली: मोदी सरकार ने देश की रक्षा पर गंभीरता दिखाते हुए और सेना के आधुनिकीकरण और के अभियान के तहत मौजूदा वित्त वर्ष में आम बजट में रक्षा आवंटन पिछले साल की तुलना में करीब 12.5 फीसदी बढाकर 2,29,000 करोड रुपये किया गया है. इसके साथ ही सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत की है.
2013-14 के आम बजट में रक्षा मंत्रालय को 2,03,672 करोड रुपये का आवंटन किया गया था और इसी साल फरवरी में संप्रग सरकार द्वारा पेश किये गये अंतरिम बजट में रक्षा बजट 2,24,000 करोड रुपये का था.
वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘देश की रक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. इसलिए मैं मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 2.29 लाख करोड रुपये के आवंटन का प्रस्ताव करता हूं.’’ वित्त मंत्रालय ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए अंतरिम बजट में किये गये 89587.95 करोड रुपये के अलावा 5000 करोड रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया है.
जेटली ने कहा, ‘‘मैं रक्षा आधुनिकीकरण के लिए पूंजीगत व्यय अंतरिम बजट में किये गये प्रावधान से 5000 करोड रुपये अधिक करने का प्रस्ताव रखता हूं. इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में रेलवे के विकास को बढाने के लिए 1000 करोड रुपये की राशि भी शामिल है.’’ सरकार ने पूर्व सैनिकों के लिए ‘एक रैंक-एक पेंशन’ की नीति के तहत पेंशन की अनियमितताओं को दूर करने के लिए 1000 करोड रुपये की राशि का और प्रस्ताव किया है.
जेटली ने यहां इंडिया गेट के पास स्थिति प्रिंसेस पार्क में एक युद्ध स्मारक और संग्रहालय बनाने की भी घोषणा की. विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआईपीबी) के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढाकर 49 प्रतिशत करने के संबंध में जेटली ने कहा, ‘‘भारत आज दुनिया में रक्षा उपकरणों का सबसे बडा खरीदार है और इस क्षेत्र में घरेलू निर्माण क्षमताएं अब भी शैशवावस्था में हैं.’’
जेटली ने कहा, ‘‘हम अपनी रक्षा जरुरतों के अहम हिस्से को सीधे विदेशी निर्माताओं से, विदेशी सरकारों के नियंत्रण वाली कंपनियों से खरीद रहे हैं और विदेशी निजी कंपनियां हमें रक्षा जरुरतों के अनुसार आपूर्ति कर रही हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल हमारे रक्षा उत्पादन क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है. इस सीमा को पूरी तरह भारतीय प्रबंधन के साथ और एफआईपीबी के जरिये बढाकर 49 प्रतिशत किया जा रहा है.’’