आज भारतीय लोकतंत्र एक बार फिर कलंकित हुआ है. संसद के मंदिर में सांसदों का आचरण ऐसा अशोभनीय था कि उन्हें मार्शल के सहयोग से संसद के बाहर किया गया. यह शर्मनाक घटना तब घटी जब संसद में महंगाई पर चर्चा हो रही थी. महंगाई के मुद्दे पर भाजपा और टीएमसी के सांसद आपस में भिड़ गये और नौबत गाली-गलौज और हाथापाई तक आ गयी. दोनों ही पार्टी इस घटना को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. तृणमूल का आरोप है कि भाजपा सांसद नशे में थे और उन्होंने तृणमूल के सांसदों के साथ दुर्व्यवहार किया, वहीं भाजपा के सांसद इस बात का विरोध कर रहे हैं.
क्या सांसद कभी सुधरेंगे
सच चाहे जो भी हो, लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या हमारे सांसदों का यह आचरण शोभनीय है. चाहे गाली-गलौज भाजपा के सांसदों ने की हो या फिर तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने इससे फर्क क्या पड़ता है. निंदनीय तो यह है कि हमारे देश के सांसद ही जब अमर्यादित आचरण करेंगे, तो फिर आम लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है.
कैसे होगी देश के संविधान की रक्षा
सांसद देश के कानून निर्माता है, लेकिन जब कानून का निर्माता ही कानून को हाथ में लेगा और अराजक आचरण करेगा, तो इस देश में कैसे होगी कानून और संविधान की रक्षा? यह बड़ा सवाल देश के सामने है.
पहले भी संसद में सांसद कर चुके हैं अमर्यादित आचरण
संसद में अर्मादित आचरण की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी सांसदों के बीच गाली-गलौज और हाथापाई की नौबत आयी है. तेलगांना गठन के समय तेलगांना के विरोधियों ने संसद में पेपर स्प्रे किया था, जिससे काफी हंगामा मचा था. माइक तोड़ने और हाथापाई की बात भी सामने आयी थी.