!!मिथिलेश झा!!
इराक में फंसी 46 नर्सो की रिहाई भारत सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है. लेकिन, इस मामले के असली हीरो हैं इराक में भारत के राजदूत बीबी त्यागी. नर्सो के लिए वह देवदूत साबित हुए. त्यागी की वजह से ही नर्से सुरक्षित अपने देश लौट पायीं. इसमें उनका साथ दिया भारत की सरकार ने. त्यागी ने दुनिया भर में खासकर खाड़ी देशों में अपने संपर्को का इस्तेमाल किया और भारत सरकार ने धैर्य से उनकी बातें सुनीं और उस पर अमल करने की छूट दी. नतीजा, सभी नर्से सुरक्षित अपने घर पहुंच गयीं.
भारत सरकार का यह काम काबिल-ए-तारीफ है. इस मामले में सरकार ने कभी हड़बड़ी नहीं दिखायी. कोई बेजा बयानबाजी नहीं की. सिर्फ इतना ही कहा कि सभी भारतीय सुरक्षित हैं, उनकी वापसी के लिए सरकार प्रयत्नशील है. उधर, बीबी त्यागी अपने मिशन पर लगे रहे. खाड़ी देशों की सरकारों के साथ-साथ उन लोगों से भी संपर्क किया, जो चरमपंथी संगठन आइएसआइएस को प्रभावित कर सकते थे. उन्होंने एक-एक सूचना सरकार से साझा किया और सरकार ने हर कदम पर त्यागी का साथ दिया. सरकार ने इस मामले को हल करने में क्षमता, बुद्धिमत्ता और अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया है. इससे लोगों का सरकार पर भरोसा बढ़ा है.
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के भूतपूर्व प्रमुख और आइसी-814 को बंधक बनाये जाने के दौरान तालिबान के साथ भारत की ओर से वार्ताकार रहे सीडी सहाय भी मानते हैं कि भारत सरकार ने इस बार बुद्धिमत्ता का परिचय दिया. उसने चरमपंथियों के साथ हो रही बातचीत का कोई भी ब्योरा कभी सार्वजनिक नहीं होने दिया. संकट हल हो गया, तो सभी नर्सो को वापस लाने के लिए विशेष विमान इराक के लिए रवाना कर दिया. उन्होंने कहा है कि विदेश में जब भी हमारे लोग संकट में हों, सरकार को जिम्मेदारी के साथ उन्हें बचाने के लिए आगे आना ही चाहिए.
बड़ा सवाल : कोई भुगतान हुआ?
नर्से सुरक्षित लौट आयी हैं. लेकिन सवाल है कि इतनी जल्दी आतंकियों ने उन्हें रिहा कैसे कर दिया? भारत सरकार की ओर से पैसे का भुगतान किया गया? या बातचीत के जरिये संकट का हल हुआ? सूत्र बताते हैं कि भारत सरकार ने इस मामले में पैसे का भुगतान नहीं किया. विभिन्न चैनलों से बातचीत की गयी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खुद खाड़ी देशों के नेताओं से फोन पर बात की और नर्सो की रिहाई में उनसे मदद मांगी. सरकार ने सऊदी अरब समेत कई ताकतों से संपर्क किया और आइएसआइएस को नर्सो को रिहा करने के लिए मजबूर कर दिया. वर्ष 1999-2000 में पाकिस्तानी और तालिबान आतंकवादियों द्वारा भारतीय विमान आइसी-814 के अपहरण और बदले में तीन आतंकियों को छोड़ने के कारण यह मामला सरकार के लिए चुनौती बन गया था.
नर्सो को मोसुल क्यों ले गये चरमपंथी?
नर्सो की रिहाई के बदले आइएसआइएस के आतंकवादियों ने कुछ भी मांग नहीं रखी. फिर नर्सो को तिकरित से मोसुल क्यों ले गये? संभवत: प्रचार पाने के लिए. पहले तो चरमपंथी नर्सो को रिहा करने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन, अनौपचारिक चैनलों से हुई बातचीत के बाद वे नर्सो को रिहा करने के लिए तैयार हो गये.
कुर्दिस्तान में क्यों छोड़ा?
आतंकवादियों ने नर्सो को कुर्दिस्तान की सीमा पर छोड़ा. वे उन्हें तिकरित में भी भारतीय अधिकारियों को सौंप सकते थे, लेकिन उसने कुर्द क्षेत्र को चुना, क्योंकि उन्हें डर था कि इराक की सेना उन पर हमला कर उसे नुकसान पहुंचा सकती है. सेना कई दिनों से तिकरित शहर पर कब्जा करने की कोशिश में है और चरमपंथियों पर लगातार हमले कर रही है.
बंधक 39 लोगों का क्या होगा?
कई दिनों तक संकट में घिरे रहने के बाद नर्से अपने देश लौट आयी हैं. उनके परिजनों की खुशियां भी लौट आयी हैं. लेकिन, आतंकवादियों के चंगुल में फंसे 39 लोगों और उनके परिजनों की खुशियां काफूर हैं. क्या नर्सो की तरह वे भी सुरक्षित लौटेंगे? भारत सरकार ने कहा है कि सभी बंधक भारतीय सुरक्षित हैं, लेकिन किसी ने उनकी वापसी के बारे में अब तक कुछ भी नहीं कहा है.