चेन्नई : चेन्नई के निकट कल देर रात एक बहुमंजिला इमारत के ढहने के बाद मलबे से चार और शव निकाले गए हैं जिन्हें मिला कर हादसे में मरने वालों की संख्या बढकर दस हो गई है. पुलिस ने बताया कि पांच शवों को पोरुर के निजी अस्पताल में रखा गया था. आज सुबह इनकी पहचान हुई. इनमें से चार आंध्र प्रदेश से हैं. अन्य चार शवों को रोयापेट्टाह सरकारी अस्पताल में रखा गया है जिनकी अब तक पहचान नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि मरने वाले दस लोगों में तीन महिलाएं हैं. अब तक 18 व्यक्तियों को बचाया गया है और उन्हें इलाज के लिए दो अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इनमें से 17 को पोरुर के निजी अस्पताल और एक को राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
हालांकि मलबे में दबे लोगों की संख्या का अब तक स्पष्ट अनुमान नहीं लग पाया है. राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल :एनडीआरएफ: के उपमहानिरीक्षक एस पी सेलवन ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘मलबे में फंसे लोगों की संख्या के बारे में अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है. हमारी प्राथमिकता लोगों को मलबे से निकालकर बचाना है जिनके फंसे होने की सूचना हमें मिली है. मलबे को साफ करना एक बडी चुनौती है जिसमें दो से तीन का समय लग सकता है.’’ उन्होंने बताया कि फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ अत्याधुनिक तकनीक के उपकरणों का प्रयोग करेगा. उन्होंने यह भी बताया कि राहत बचाव कार्य में एनडीआरएफ के दस दल पहले से ही काम कर रहे हैं.
इस बीच आंध्र प्रदेश के कलेक्टर कांतिलाल दांडे ने दुर्घटना को देखते हुए विजयनगरम में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है. माना जाता है कि जिले से गए कई मजदूर निर्माण कार्य में लगे थे और विजयनगरम से ही कम से कम 14 लोग इमारत के निर्माण कार्य से जुडे थे. निर्माण कंपनी के दो निदेशकों को कल पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. चेन्नई से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पश्चिमी उपनगर मौलीवक्कम और आसपास के इलाकों में कल शाम हुई भारी बारिश के बाद यह इमारत ढह गई थी.
भवन निर्माण से जुडी फर्म ‘प्राइम सृष्टि’ का दावा है कि आकाशीय बिजली गिरने के कारण ही यह दुर्घटना घटित हुई. इस बीच भारी उद्योग राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णनन ने दुर्घटना स्थल का दौरा किया और राहत व बचाव कार्य का भी जायजा लिया. उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने राहत बचाव दल को सलाह दी है कि वे राहत कार्य में तेजी बरतें. हमें इस बात की खुशी है कि अब तक 24 लोगों को बचाया जा चुका है. इमारत के स्वामियों को दिया गया लाइसेंस रद्द कर दिया जाना चाहिए.’’