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रेल सुरक्षा तंत्र की खामियों से हो रहे हैं हादसे

एमएम अग्रवाल, रेल सुरक्षा मामलों के जानकार बिहार के छपरा में राजधानी एक्सप्रेस की दुघर्टना से एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. जबतक रेलवे की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर ध्यान नहीं दिया जायेगा हालात में सुधार की उम्मीद नहीं है. अक्सर हादसों के बाद जांच के लिए कमेटी […]

एमएम अग्रवाल, रेल सुरक्षा मामलों के जानकार

बिहार के छपरा में राजधानी एक्सप्रेस की दुघर्टना से एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. जबतक रेलवे की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर ध्यान नहीं दिया जायेगा हालात में सुधार की उम्मीद नहीं है. अक्सर हादसों के बाद जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया जाता है, लेकिन उनकी सिफारिशों पर कभी अमल नहीं होता है.

भले ही हादसे की वजह पटरियों के साथ छेड़छाड़ करना हो सकता है, लेकिन मौजूदा सुरक्षा तंत्र में कई खामियां हैं. जब तक रेलवे का आधुनिकीकरण नहीं होगा हादसों को रोकना मुश्किल है. रेलवे के राजनीतिक इस्तेमाल से हालात बिगड़े हैं. राजनीतिक कारणों से ही पिछले दस सालों से यात्रा ी किराये में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही थी. अब जब संसाधन बढ़ाने के लिए किरायों में बढ़ोतरी हुई है तो इसका विरोध किया जा रहा है. मेरा मानना है कि बिना सुरक्षा उपायों पर गौर किये ट्रेनों की संख्या बढ़ाने से हालात बिगड़े हैं.

पटरियों पर दबाव बढ़ने के कारण उसमें टूट होने की संभावना अधिक रहती है. यही वजह है कि ट्रेनें पटरियों से उतर जाती हैं. आजादी के समय देश में 53 हजार किलोमीटर रेल रूट का नेटवर्क था, जो आजादी के बाद सिर्फ 10 हजार किलोमीटर ही बढ़ पाया है. रेलवे का विस्तार नहीं हो पाने के कारण मौजूदा संसाधनों पर दबाव काफी बढ़ गया है. यही नहीं रेलवे की आर्थिक स्थिति को दुरुस्त करने की कोशिश नहीं की गयी. इससे आधुनिकीकरण की रफ्तार काफी धीमी है.

पैसे की कमी के कारण हाइस्पीड कॉरीडोर, विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी योजनाएं लटकी पड़ी है. कोहरे के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती है, लेकिन टक्कर रोधी यंत्र नहीं लगाया जा सका है. यही नहीं आज भी अधिकांश ट्रेनों ने आग रोकने के लिए विशेष व्यवस्था नहीं की जा सकी है. कई रेल पुल काफी पुराने हो चुके हैं. उम्मीद है कि नयी सरकार रेलवे की स्थिति को सुधारने के लिए संसाधन उपलब्ध करायेगी.

दुघर्टना को रोकने के लिए पटरियों के रखरखाव, सिग्‍नल सिस्टम को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है. इसके लिए रेलवे में बड़े पैमाने पर निवेश करने की जरूरत है. रेलवे को भी खुद संसाधन जुटाने के लिए कई अहम फैसले लेने होंगे. रेलवे सुरक्षा के लिए 2002 में अच्छी कोशिश की गयी थी, लेकिन बाद में सुरक्षा उपायों पर खास ध्यान नहीं दिया गया. बुलेट ट्रेन जैसी परियोजना को लागू करने से पहले सरकार को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देने की जरूरत है. रेल की सुरक्षा और संरक्षा से संबंधित काकोडकर कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने से हालात बदलेंगे. देश की आर्थिक तरक्की के लिए मजबूत और सुरक्षित रेल नेटवर्क का होना बेहद जरूरी है. उम्मीद है कि आगामी रेल बजट में रेलवे की सुरक्षा और आधुनिकीकरण को लेकर कदम उठाये जायेंगे.

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