नयी दिल्लीः कल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ एक स्थानीय अदालत ने वारंट जारी किया. उनपर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. लेकिन यह केवल धोनी का मामला नहीं है.
चुनाव के तुरंत बाद मुंबई मिरर के कवर पेज पर एक फोटो छपा था जिसमें मोदी को आधुनिक ब्रह्मा के रुप में दिखाया गया था. जिनके हाथ में एक सेल फोन और एक लैपटॉप था. लेकिन किसी ने इसका विरोध नहीं किया . चुनाव के दौरान हर जगह पर हर हर मोदी के नारे लगते रहे किन्तु कभी किसी ने इसको लेकर कोर्ट में जाने की आवश्यकता नहीं समझी. द्वारिका पीठ के शंकराचार्य ने हर हर मोदी स्लोगन पर आपत्ति जतायी थी. इसके बावजूद पूरे चुनाव में हर-हर मोदी के नारे लगते रहे. एक चुनाव प्रचार के दौरान बप्पी लहरी ने तो स्टेज में ही हर हर मोदी हर हर मोदी के नारे लगाये थे. वहां पर विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन ने भी इस पर आपत्ति नहीं जतायी थी.
अगर ऐसा है तो फिर धोनी पर ही मामला क्यों दर्ज हुआ? हो सकता है धोनी के चहेतों को इस बात से नाराजगी होगी किन्तु देखा जाय तो धोनी का मामला अलग है. कहा जाता है कि बिजनेस टूडे के कवर पेज में छपी विष्णु की तस्वीर में वे पैसे के लिए यह सब कर रहे थे. उन्होंने पिक्चर में पूरी तरह भगवान विष्णु का रुप धारण किया हुआ है. उनके हाथ में आलू के चिप्स, इंजिन ऑयल, कोला , जूते आदि उत्पाद थे. और जूता तो किसी भी स्थिते में शोभनीय नहीं था.
इसी को लेकर मई 2013 में एक आरटीआई कार्यकर्ता न जयकुमार ने बैंगलूर में में एक केस दर्ज किया था जिसमें धोनी के खिलाफ हहुन्दुओं की भावना को ठेस हहुंचाने का आरोप लगाय गया था. इसी सिलसिले में कल आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में एक स्थानीय अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया है.