28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नयी दिल्ली : सवर्णों को 10% आरक्षण पर फिलहाल रोक नहीं

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग (पिछड़े सवर्णों व अल्पसंख्यक) के लोगों को 10% आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले की समीक्षा करेगा. हालांकि, इस फैसले के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाने से कोर्ट ने इंकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग (पिछड़े सवर्णों व अल्पसंख्यक) के लोगों को 10% आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले की समीक्षा करेगा. हालांकि, इस फैसले के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाने से कोर्ट ने इंकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने 103वें संविधान संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह में जवाब मांगा.

इस के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार ने बिना जरूरी आंकड़े जुटाये आरक्षण का कानून बनाया है. विधेयक पारित होने के बाद जनहित अभियान व यूथ फॉर इक्वैलिटी जैसे संगठनों ने केंद्र के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. ‘यूथ फॉर इक्वैलिटी’ ने कोर्ट से इसे खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि आर्थिक मापदंड आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं हो सकता.

आर्थिक आधार पर आरक्षण को सामान्य वर्ग तक सीमित नहीं रखा जा सकता. 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में इंदिरा साहनी केस में व्यवस्था दे रखी है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता.

रेलवे सहित कई राज्यों में हो चुका है लागू
मोदी सरकार ने दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने के लिए संसद में संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया था, जिसे आठ जनवरी को लोकसभा ने और नौ जनवरी राज्यसभा ने पारित कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 जनवरी को 10% आरक्षण से संबंधित संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को मंजूरी दे दी थी. इस अधिनियम के कानून बनने के बाद कई राज्यों और रेलवे में यह कानून लागू किया जा चुका है.
एससी-एसटी कानून पर एक साथ सुनवाई संभव
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह एससी-एसटी एक्ट, 2018 के संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं व केंद्र की पुनर्विचार याचिका को उचित पीठ के समक्ष एक साथ सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा. कोर्ट ने कहा कि वह पूरे मामले पर विचार करेगी. फिलहाल, संशोधन कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इस संशोधित कानून के जरिये आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दिये जाने के प्रावधान को बरकरार रखा गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें