नयी दिल्लीः रेल किराये में हुई बढोत्तरी के बाद मोदी सरकार घिरती नजर आ रही है. फेसबुक, ट्विटर से लेकर चाय की दुकानों पर सरकार के इस कदम पर मंथन जारी है.दूसरी ओर कांग्रेस और भाजपा के बीच रेल किराये में की गयी बढ़ोत्तरी को लेकर गर्मी बढ़ती जा रही है. विरोधी अच्छे दिनों के नारों का मजाक उड़ा रहे हैं. कांग्रेस ने मोदी के पुराने ट्वीट को बाहर निकाला और पिछली बार हुई रेल किराये में हुई बढ़ोतरी के बाद उनके विरोध का जवाब अब मांग रहे हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्गविजय सिंह ने ट्वीट किया कि देश की सरकार चलाना और फैसलों में कमी निकालना दोनों अलग- अलग बातें हैं. इस ट्वीट के जरिये उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा.
भाजपा अपने इस फैसले को दूरगामी बता रही है. एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस की दस का कुशासन का ठिकरा नयी सरकार पर फोड़ा जा रहा है. हमने जिस तरह का फैसला लिया है वह जरूरी है रेलवे भारी घाटे में जा रहा है उसका घाटा नौ सौ रुपये प्रतिदिन का है. सरकार रेलवे से अच्छे मुनाफे की उम्मीद करती है. जनता ने हमें बहुमत दिया है और यह इस फैसले से मिलने वाले अच्छे परिणाम को समझ रही है. उन्होंने मोदी के पुराने ट्वीट पर सफाई देते हुए कहा कि जिसवक्त उन्होंने वरोध किया उसवक्त कांग्रेस की सरकार के नौ साल पूरे हो चुके थे. यूपीए सरकार ने न सिर्फ रेलवे बल्कि बीएसएनएल एमटीएनएल को भी पूरी तरह बर्बाद कर दिया है.
These days social media keeps record of every statement,Mr. Modi had opposed the #RailFare hike in 2012 :@ajaymaken pic.twitter.com/p3hBjH3NWC
— Congress (@INCIndia) June 20, 2014
इन कंपनियों को जिसतरह का सहयोग मिलना चाहिए नहीं मिल रहा है नये टावर लगाने में सरकार ने सहयोग नहीं दिया. रेलवे को साढ़े चार लाख करोड़ का रेवन्यू चाहिए. इस तरह के कदम बेहद जरूरी थे. इससे पहले शहनवाज हुसैन ने भी सरकार के इस फैसले का बचाव किया उन्होंने कहा कि सरकार के पास रेलवे में सुधार के लिए पैसा नहीं बचता इस फैसले से सरकार रेलवे की सुरक्षा और सुविधाओं पर ध्यान देगी.
गौरतलब है कि रेल किराये में हुई बढोतरी पिछले 5 सालों में सब से ज्यादा बढ़ोतरी है. इससे पहले अक्तूबर 2013 में मालभाड़े में 15 फीसदी की भारी बढ़ोत्तरी कर दी थी. इसके पूर्व अक्तूबर 2012 में मालढुलाई पर पहली बार सर्विस टैक्स लगा. वहीं अक्तूबर 2011 में भाड़े में 6 फीसदी से अधिक इजाफा किया गया. रेलवे 32 महीने के भीतर अब तक 30 फीसदी से अधिक मालभाड़े की दरें बढ़ा चुका है.माले भाड़े में हुई बढोतरी के बाद मंहगाई पर खासा असर पड़ेगा.अचानक हुई इस बढोतरी से विरोधियों को सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल गया है.