मुंबई: सीबीआई अदालत ने गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह के वकील को 2006 के तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड मामले के सिलसिले में भाजपा नेता की गैर-मौजूदगी के बारे में कोई वजह बताए बिना अपने मुवक्किल के लिए एक और छूट देने का अनुरोध करने पर आज फटकार लगायी.
सीबीआई के वकील बी पी राजू ने शाह को छूट दिए जाने के आवेदन का विरोध किया. इसके बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश जे टी उतपत ने कहा, ‘‘ हर बार आप बिना कोई वजह बताए छूट के लिए आवदेन कर रहे हैं.’’ हालांकि अदालत ने उनका आवेदन स्वीकार कर लिया और मामले की सुनवाई चार जुलाई के लिये स्थगित कर दी.
शाह ने छूट संबंधी अपने आवदेन में आज कहा कि वह अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह दिल्ली में हैं. उनके वकील रोबिन मोगेरा ने कहा, ‘‘ शाह नई दिल्ली में राजनीतिक कार्य में व्यस्त हैं और इसलिए वह अदालत नहीं आ सके.’’ इस मामले में शाह द्वारा आरोप मुक्त करने के लिये दायर अर्जी पर भी अदालत 25 जून को आदेश सुना सकती है.
अदालत ने नौ मई को शाह और मामले में अन्य आरोपियों को समन जारी किया था. यह मामला इसी साल गुजरात से मुंबई स्थानांतरित हुआ था.सीबीआई ने मामले में शाह और 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ सितंबर 2013 में आरोपपत्र दाखिल किया था. आरोपियों में कई पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं.
सीबीआई के अनुसार गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी का गुजरात के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने उस समय अपहरण कर लिया था जब वे हैदराबाद से महाराष्ट्र में सांगली जा रहे थे. दोनों को नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास कथित फर्जी मुठभेड में मार दिया गया. दावा किया गया था कि शेख का संपर्क पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयब से था.
मुठभेड के गवाह तुलसीराम प्रजापति को पुलिस ने दिसंबर 2006 में गुजरात के बनासकांठा जिले के चापरी गांव में मार दिया था. शाह उस समय राज्य के गृह राज्य मंत्री थे और वह दोनों घटनाओं में कथित तौर पर शामिल थे.