अगर मैं कोई काम शुरू करती हूं, तो सफलता मुझ तक पहुंच जाती है. जब मैंने अपने पति के निधन से पहले उनके पूछा था आप नहीं होंगे तो मैं अपना और पांच बच्चों का गुजारा कैसे करूंगी, उस वक्त उन्होंने कहा था कि तुम में बहुत हिम्मत है, तुम मेरे बिना भी गुजारा कर लोगी.
107 साल की ‘मस्तनम्मा’ की यही हिम्मत उन्हें मशहूर करने के लिए काफी थी. यूट्यूब में उन्हें कौन नहीं जानता. उनके जिंदगी के सफर की कहानी बहुत कम लोगों को पता है. अम्मा के पांच बच्चों में से चार का निधन हो गया लेकिन वह जिंदगी से निराश नहीं हुईं आगे बढ़ती रहीं. उनकी हिम्मत और लगन उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देते रही. अम्मा के नाम से मशहूर इनके खाना बनाने के वीडियो आपके मोबाइल से भी होकर गुजरेंगे.
The YouTube family has lost Mastanamma, but her culinary legacy will continue to be remembered and inspire millions 🙏 → https://t.co/IntulMQkcj @cntryfoods pic.twitter.com/1R9je6YozC
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— YouTube India (@YouTubeIndia) December 5, 2018
उनके निधन के बाद यूट्यूब इंडिया ने दुख जताते हुए ट्वीट किया, यूट्यूब परिवार ने ‘मस्तनम्मा’ को खो दिया लेकिन उनकी खाना बनाने की विरासत कायम रहेगी और लाखों लोगों को प्रेरित करती रहेगी. ‘मस्तनम्मा’ की रेसिपी कई अखबारों में छपी. उनके प्रशंसकों को दुख है कि वह कभी अब उन्हें कैमरे पर न हीं देख पायेंगे. उनके खूब चाहने वाले थे. वह पारंपरिक तरीके से खाना बनाकर मशहूर हुईं और यूट्यूब पर उनकी रेसिपी वाले वीडियोज पर लाखों व्यूज और लाइक्स मिलते थे. मस्तनम्मा के चैनल पर 12 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. उनके वीडियो सिर्फ हमारे देश में नहीं विदेशों में भी खूब पसंद किये जाते थे.
https://www.youtube.com/watch?v=8iguG6rlRzk
अम्मा पारंपरिक तरीके से खाना बनाती थी. ज्यादातर चुल्हे में खाना बनाने वाली अम्मा मसालों के लिए भी किसी बड़ी मशीन का इस्तेमाल नहीं करती थीं. अम्मा खेतों में चूल्हे पर आग जलाकर पुरानी परंपरा के अनुसार से खाना बनाती थीं. यही तरीका उनकी विशेषता थी, उनका वीडियो साल 2016 में पहली बार अपलोड किया गया इसमें वह बैंगन करी बना रही थी. यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया. इसके बाद उनके पोते लक्ष्मण ने यूट्यूब पर ‘कंट्रीफूड’ नाम से चैनल बनाया और उस पर वीडियोज पोस्ट करने शुरू कर दिए. इसी चैनल पर उनके निधन की खबर भी लगायी गयी. ‘मस्तनम्मा’ को श्रद्धांजलि दी गयी.