उमा भारती भारतीय जनता पार्टी की तेज-तर्रार नेताओं में से एक हैं. वह 1989 में पहली बार खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद बनीं. अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर आंदोलन में भी उनका अहम रोल रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्होंने कई मंत्रलयों का जिम्मा संभाल. वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश विधानसभा में इनके नेतृत्व में भाजपा ने तीन चौथाई सीटें जीतीं. मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं और अब उत्तर प्रदेश की झांसी संसदीय सीट से सांसद हैं. भाजपा ही नहीं विपक्षी दलों के तमाम प्रमुख नेता उन्हें दीदी कहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को निर्मल बनाने का दायित्व उन्हें सौपा है. अब जल संसाधन, गंगा संरक्षण और नदी विकास मंत्री के रूप में उमा भारती इन दायित्व को पूरा करने में जुट गयी हैं. उमा जी, कैसे गंगा को निर्मल बनाने में जुटीं हैं? गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की राह में उनके सामने चुनौतियां क्या है? इन सब मुद्दों पर उमा भारती से हुई.
राजेंद्र कुमार की खास बातचीत के मुख्य अंश ..
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा को निर्मल और अविरल बनाने का दायित्व आपको सौंपा है, कैसे पूरा करेंगी यह जिम्मेदारी ?
प्रधानमंत्री जी ने जब मुङो गंगा सफाई अभियान का जिम्मा सौंपा तो वह मेरे जीवन का सबसे भावुक क्षण था. मैं पिछले कुछ सालों से गंगा की सफाई के लिए पूरे देश भर में अभियान चला रही थी अब केंद्र सरकार में मुङो इस अहम काम को पूरा करने की जिम्मेदारी मिल गयी. यह सब ईश्वरीय संयोग है. गंगा का अलग से मंत्रलय बनाना अभूतपूर्व कदम है. खुशी की बात यह है कि गंगा की स्वच्छता, निर्मलता और अविरलता को लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेता एकमत हैं. मुङो भरोसा है कि सभी दलों के बड़े से लेकर छोटे नेताओं के अलावा देश की जनता का सहयोग गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के हमारे अभियान को मिलेगा. देश के हर लोगों का सपना है कि गंगा की पवित्रता बनी रहे. यह काम बड़ा कठिन है, पर लोगों की भागीदारी से इसे पूरा करने का संकल्प हम सबको लेना है.
आप गंगा सफाई के अभियान से जुड़ी रही हैं. आप को पता है कि अरबों रु पये गंगा की सफाई में खर्च हुए है, फिर भी गंगा का प्रदूषण खत्म नहीं हुआ.कहां कमी रही है?
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अब तक जो प्लान बने उन्हें ठीक से लागू ना कर पाना ही गंगा प्रदूषण की वजह है. राजीव गांधी ने गंगा एक्शन प्लान के जरिये गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की सोची पर गंगा के जल को स्वच्छ करने के लिए जो सिस्टम बनाना था, वह बनाया नहीं जा सका और समूचा गंगा एक्शन प्लान कागजी बनकर रहा गया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के गंगा सफाई को लेकर राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण गठित करने संबंधी योजना की भी कुछ ऐसी ही हालत हुई. यह प्राधिकरण भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का समाधान सुझा नहीं सका.
अब आप कैसे गंगा को निर्मल और अविरल बनाने का दायित्व निभाएंगी ?
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी प्रदूषण मुक्त गंगा चाहते हैं. गंगा के प्रति अपनी ये मंशा वह सार्वजनिक भी कर चुके हैं. मैं भी बहुत दिनों से गंगा सफाई के अभियान से जुड़ी हूं. मैं चाहती हूं कि गंगा को निर्मल बनाने के लिए अब तक जो प्रयास हुए हैं, उनमें अगर कोई अच्छाई है तो उसे आगे बढ़ाएंगे और कोई कमी थी तो उसमें सुधार करेंगे. हम गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए जो कार्ययोजना तैयार करेंगे, उसे पूरी तरह से लागू करेंगे. 90 दिन में मेरा विभाग गंगा की स्वच्छता को लेकर एक समग्र और समिन्वत कार्ययोजना को देश के सामने पेश करेगा. इस संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा बनायी गई मंत्रियों के समूह की एक बैठक अभी हाल ही में हुई है. इस बैठक में गंगा सफाई को लेकर विभिन्न मंत्रलय अपनी रिपोर्ट एक माह में देंगे, फिर इन रिपोटरे के आधार पर 90 दिनों में गंगा की स्वच्छता को लेकर एक समग्र कार्ययोजना तैयार की जाएगी. फिर इस कार्ययोजना के मुताबिक गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चलेगा. मेरा मत है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने संबंधी कार्ययोजना के जरिये हम गंगा को निर्मल और अविरल तो बनाएंगे ही गंगा के किनारे बसे शहरों का विकास करने में भी सक्षम होंगे. ये दोनों चीजे पूरक हैं. नदी का विकास होगा तो आसपास के इलाकों का भी विकास होगा. दोनों में से कोई भी पहलू एकांगी नहीं है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नदियों के किनारे ही सभ्यताओं- संस्कृतियों का विकास हुआ है.
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की चर्चा हर तरफ हो रही है परन्तु यमुना और देश की अन्य निदयों में बढ़ रहे प्रदूषण पर अंकुश लगाने को लेकर सरकार मौन है.
ऐसा कुछ नहीं है. सभी नदियों के प्रदूषण को लेकर हम चितिंत हैं. गंगा नदी की सफाई को लेकर जो मानक बनाए जाएंगे, वह देशभर की अन्य नदियों पर भी पूरी तरह लागू होंगे ताकि देश भर की सभी नदियां स्वच्छ, निर्मल और अविरल बन सकें. देश की सभी नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की सोच है हमारी. परन्तु देश की सभी नदियां प्रदूषण मुक्त हों, इसके लिए हमें जनता का सहयोग भी चाहिए. वास्तव में हर नदी अपने मूल रूप में आज भी पवित्र और शुद्ध है. मैल तो हमने डाला है. लोगों को नदियों की रक्षा करनी चाहिए और सरकार का सहयोग लेना चाहिए. नदियां और जल लोग ही बचाएंगे, हमें सिर्फ लोगों का साथ देना होगा, सहयोग करना होगा. यह काम आम नागरिकों के बगैर नहीं हो सकता. हम समझते हैं कि सरकार की योजनाओं में जनभागीदारी हो. तभी योजनाएं साकार हो सकेंगी.
तमाम उद्योग बिना भय के निदयों को प्रदूषित कर रहे हैं?
ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. नदियों को स्वच्छ रखने में उद्योगों को भी भूमिका निभानी होगी. इसके लिए कानून भी हैं. जरूरत पड़ी तो गंगा को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई वाले उपाय किये जायेंगे. यह बात बिल्कुल सही है कि औद्योगिक कचरों के चलते गंगा का प्रदूषण कई स्तरों पर खतरनाक हो चला है. इसकी कठोर निगरानी होगी.
बिजली उत्पादन के लिए गंगा के जल को तमाम जगहों पर बांध बनाकर रोका जा रहा है? क्या जल विद्युत परियोजनाओं की समीक्षा होगी?
हमें पानी का उपयोग ऐसे करना है कि वह बचा रहे. ऊर्जा उत्पादन भी इसी तरह हो सकता है, इसमें कोई कठिनाई नहीं है. हम चाहते हैं कि अविरल गंगा के साथ
उत्तराखंड का विकास हो, उसे किसी भी प्रकार की हानि न हो. मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि गंगा के
अस्तित्व को बनाये रखते हुए समाज की जरूरतों को पूरा किया जाए.
बड़े पैमाने पर नदियों के किनारे बिल्डिंग बन रही हैं. इस पर रोक लगाने की भी कोई योजना है?
बीते वर्ष उत्तराखंड की त्रसदी में भारी जन और धन हानि हुई थी. इन धनहानि को रोका जा सकता था पर इसे रोकने की शुरु आत बीस साल पहले से करनी थी, जब नदी के दोनों किनारों पर निर्माण की बेतरतीब अनुमति दी गयी और विकास के नाम पर नियमों के भारी उल्लंघन किए गये. उसी का दुष्परिणाम थी उत्तराखंड की त्रसदी. यह त्रसदी हमारे लिए बहुत बड़ा सबक है और नदियों के किनारे किसी भी तरह के गैरजरूरी निर्माण की अनुमति ना दी जाए, यह हम देखेंगे.