-इंटरनेट डेस्क-
नयी दिल्ली : नवगठित मोदी सरकार के लिए उनके विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. सोमवार को रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें वर्ष 2012 में सेना प्रमुख के तौर पर वीके सिंह द्वारा की गयी कार्रवाई को अवैध बताया है. इस हलफनामे का हवाला देते हुए कांग्रेस ने राजनीति भी शुरू कर दी है और वीके सिंह का इस्तीफा मांगा है.
जनरल सुहाग सिंह की नियुक्ति सही, विवाद न बढ़ायें : जेटली
कांग्रेस के प्रवक्ता मनु सिंघवी ने कहा है कि जिस मंत्री पर सरकार का भरोसा नहीं है, जैसा कि रक्षा मंत्रालय के हलफनामे से स्पष्ट होता है, तो वह मंत्री सरकार में नहीं रह सकता, इसलिए वीके सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछली सरकार द्वारा बनाये गये हलफनामे को क्यों और कैसे नयी सरकार ने कोर्ट में पेश किया, इस बात की जानकारी रक्षा मंत्री अरुण जेटली को भी नहीं थी. उन्होंने रक्षा सचिव से इस संबंध में जानकारी मांगी है. लेकिन यह स्थिति सरकार की भूमिका पर कई सवाल खड़े करती है. जिस तरह से यह मामला सामने आया है, उसमें सरकार की किरकिरी हुई है और कांग्रेस को राजनीतिक फायदा उठाने का मौका मिल गया है.
दास्ताने का कहना है कि इस पोस्ट के लिए वह उपयुक्त उम्मीदवार थे, लेकिन जनरल बिक्रम सिंह ने पक्षपात करते हुए सुहाग को प्रमोट कर दिया, जबकि उस वक्त उन पर अनुशासनात्मक प्रतिबंध लगा हुआ था. इस याचिका में अप्रैल और मई 2012 में तत्कालीन जनरल वी के सिंह द्वारा उनके खिलाफ की गयी जांच का भी जिक्र किया गया है. इस याचिका पर दाखिल हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि तब जनरल वीके सिंह ने जो कार्रवाई की थी, वह निराधार थी.
जानकारों का मानना है कि चूंकि इस हलफनामे का निर्माण यूपीए-2 के शासनकाल में किया गया है अत: यह पक्षपातपूर्ण है. चूंकि जनरल वीके सिंह से यूपीए सरकार के संबंध अच्छे नहीं थे, अत: हलफनामे को पक्षपात पूर्ण बनाया गया और उसमें जनरल को दोषी ठहराया गया है.जनरल सुहाग सिंह को यूपीए सरकार ने नया सेना प्रमुख नियुक्त किया है. वे वर्तमान सेना प्रमुख बिक्रम सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद 31 जुलाई से नये सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करेंगे.