नयी दिल्ली:आसमान से आग बरस रही है और दिल्ली के लोग बिजली से बेहाल हैं. पिछले साल गर्मियों में इतनी परेशानी दिल्ली के लोगों को नहीं झेलनी पडी थी लेकिन जब से बिजली को लेकर दिल्ली में नेताओं ने राजनीति शुरू की है तब से दिल्ली के लोगों पर बिजली कटौती आफत बनकर टूट पड़ी है. यहां के छात्र हों या व्यापारी सभी इससे त्रस्त हैं. बिजली नहीं होने की वजह से लोगों को पानी की किल्लत का सामना भी करना पड़ रहा है.
तूफान का असर
दिल्ली में 30 मई को तूफान आया था जिसके बाद से घरों तक बिजली पहुंचाने वाले कई टॉवरों को नुकसान पहुंचा था. इतने दिनों की मरम्मत के बाद भी दो लाइनों को ठीक नहीं किया जा सका है. जब तक ये लाइनें पूरी तरह ठीक नहीं होती घरों तक बिजली नहीं पहुंच पाएगी. मतलब ये कि बिजली की कोई कमी नहीं है.मौजूदा वक्त में दिल्ली में 5800 मेगावॉट बिजली की मांग है जबकि 5300 मेगावॉट बिजली उपलब्ध है. बाहर से बिजली मंगाकर 500 मेगावॉट की इस कमी को भी पूरा किया जा सकता है लेकिन सप्लाई लाइन में दिक्कत की वजह से ये नहीं हो सकता.
दिल्ली में बिजली कटौती पर जमकर सियासत
राजधानी में बिजली संकट पर जमकर राजनीति हो रही है.बीजेपी दिल्ली की पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहरा रही है, कांग्रेस बीजेपी पर निशाना साध रही है और आम आदमी पार्टी बीजेपी को गैर-जिम्मेदार बता रही है. आप नेता अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह दिल्ली में व्याप्त बिजली संकट को संभाल नहीं पा रही है और यह बताने में जुटी है कि यह पिछली सरकारों की कारगुजारियों का नतीजा है. वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के राज में दिल्ली में बिजली की कभी कमी नहीं हुई. हमारे शासन की तारीफ खुद वाजपेयी भी कर चुके हैं.