नयी दिल्ली : भारतीयों द्वारा विदेश में जमा किए गए कालेधन को वापस लाने के काम में लगी विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने भारत द्वारा स्विट्जरलैंड और अन्य देशों के साथ की गई कर संधियों में गोपनीयता के उपबंधों के विवादास्पद मुद्दों की पडताल करने का निर्णय किया है. भारत ने कई देशों के साथ कर सूचना आदान.प्रदान संधियां कर रखी हैं, लेकिन इन संधियों में एक ‘गोपनीयता’ का उपबंध है जो दूसरी कर प्रवर्तन व जांच एजेंसियों को ब्योरे हासिल करने से रोकता है.
सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज एमबी शाह की अगुवाई वाली एसआईटी में मुख्य चर्चा इस बात पर है कि काले धन के आधा दर्जन मामलों में आयकर विभाग या संबद्ध एजेंसियों द्वारा प्राप्त की गई सूचना का कैसे उपयोग किया जाए क्योंकि इन्हें किसी अन्य जांच एजेंसी के साथ साझा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि एसआईटी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड :सीबीडीटी: और आयकर विभाग द्वारा प्राप्त किए गए आंकडों को अन्य एजेंसियों के साथ साझा करने के लिए विदेशों में स्थित सक्षम अदालतों व संबद्ध प्राधिकारों से अनुमति लेने के वास्ते अनुरोध करने की संभावना टटोल रही है.
सूत्रों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व आसूचना निदेशालय, रिजर्व बैंक और सीबीआई के साथ इन सूचनाओं को साझा करने की अनुमति के लिए अनुरोध किया जा सकता है ताकि विभिन्न दृष्टिकोण व आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के तहत इस तरह के मामलों में संदिग्ध लोगों की जांच की जा सके.