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आठवीं बार संसद पहुंची सुमित्रा ताई बनीं लोकसभा अध्यक्ष

नयी दिल्ली : सोलहवीं लोकसभा की सबसे अनुभवी महिला सदस्य और नयी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सभी दलों के बीच सामंजस्य बनाने को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि वह एक मां की तरह प्यार और डांट दोनों से काम लेंगी. मृदुभाषी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई संघर्ष में तपी सांसद हैं इंदौर से रिकार्ड लगातार […]

नयी दिल्ली : सोलहवीं लोकसभा की सबसे अनुभवी महिला सदस्य और नयी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सभी दलों के बीच सामंजस्य बनाने को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि वह एक मां की तरह प्यार और डांट दोनों से काम लेंगी.

मृदुभाषी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई संघर्ष में तपी सांसद हैं

इंदौर से रिकार्ड लगातार आठवीं बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन ने इस बार सत्यनारायण पटेल को 4,66,901 मतों से हराकर इतिहास रचा था. वह एक ही लोकसभा सीट से लगातार आठ बार जीतने वाली पहली महिला सांसद हैं.

लोकसभा स्पीकर चुने जाने के बाद बातचीत में महाजन ने कहा, इंसान के लिये हर नया काम चुनौती होता है. मेरे लिये पहली रोटी बनाना भी चुनौती था, पहला चुनाव लड़ना भी और अब यह नई जिम्मेदारी भी. पार्टी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है और बडी बात यह है कि बाकी सभी दलों ने भी समर्थन किया है. मैं अपेक्षाओं पर खरी उतरने की पूरी कोशिश करुंगी.

स्पीकर के तौर पर सभी के बीच सामंजस्य बनाना उनकी प्राथमिकता होगी. उन्होंने कहा, अभी देखते हैं कि आगे क्या होता है. पहले मैं जिम्मेदारी संभाल लूं, फिर ही कुछ कह सकूंगी. लेकिन सभी के बीच सामंजस्य बनाना मेरी प्राथमिकता होगी.

यह पूछने पर कि पिछले कुछ सत्रों में संसद की कार्रवाई जिस तरह से बाधित हुई, उन्हें लगता है कि यह चुनौती कठिन होगी, उन्होंने कहा, संसद नहीं चलने के कई कारण रहे लेकिन मैं आज इस पर कोई चर्चा नहीं करुंगी. पहले मैं सभी बातों को समझूंगी. संसद नहीं चली, वह सबके सामने हैं और कल चलेगा तो भी सभी के सामने होगा. अपने मृदु स्वभाव के लिये मशहूर ताई के लिये लोकसभा में तेज आवाज में बोलना कितना मुश्किल होगा, यह पूछने पर महाजन ने कहा कि वह एक मां की तरह प्यार और डांट दोनों से काम लेंगी.

भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन आज सर्वसम्मति से 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष चुन ली गई. अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया और अनुमोदन लालकृष्ण आडवाणी ने, जिसे पूरे सदन ने एकमत होकर स्वीकार कर लिया. सुमित्रा के अध्यक्ष पद पर निर्वाचन के लिए सत्तारुढ़ भाजपा के सदस्यों के अलावा कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, शिवसेना, तेलगुदेशम, टीआरएस, लोजपा, बीजद, तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की ओर से भी प्रस्ताव रखे गए.

प्रोटेम स्पीकर कमलनाथ ने मोदी की ओर से पेश प्रस्ताव को वोट के लिए सदन के सामने रखा और उसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिए जाने के बाद उन्होंने सुमित्रा को निर्वाचित घोषित किया. उन्होंने कहा कि मोदी का पहला प्रस्ताव स्वीकार हो जाने के बाद अन्य प्रस्ताव रखे जाने की आवश्यकता नहीं रह गई है.

इसके बाद कमलनाथ ने सुमित्रा महाजन को अध्यक्ष पद का आसन ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया. इस पर मोदी, आडवाणी, सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, तृणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय, अन्नाद्रमुक के थम्बीदुरई, लोजपा के रामविलास पासवान और संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडु उन्हें आसन तक लेकर आए.

पूरे सदन ने खडे होकर करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया और इस बीच उन्होंने अपना आसन ग्रहण किया. सुमित्रा लोकसभा की दूसरी महिला अध्यक्ष हैं. इससे पहले 15वीं लोकसभा में मीरा कुमार पहली महिला अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं.

निजी समाचार चैनल से उन्होंने कहा, हम मेहनत करनेवाले लोग हैं. राजनीति में काम करने के लिए आते हैं. व्यक्तिगत एजेंडा कुछ नहीं होता है. मैं अनुभव से सीखनेवाली हूं, जीवन में हर काम चैलेंज है, हर काम को चैलेंज के रूप में लेती हूं. इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मल्लिकार्जुन खड़गे, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई समेत 19 लोगों ने उनके नाम का प्रस्ताव किया.

* थंबीदुरै या कडि़या बन सकते हैं उपाध्यक्ष

उपाध्यक्ष पद के लिए अन्नाद्रमुक के सांसद एम थंबीदुरै का नाम चर्चा में है. दो दिन पहले अन्नाद्रमुक प्रमुख तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की प्रधानमंत्री के साथ लंबी चली बैठक के बाद से ही यह चर्चा जारी है. अन्नाद्रमुक ने हाल ही में थंबीदुरै को संसदीय दल का नेता बनाया है. पिछली लोकसभा में भी वह संसदीय दल के नेता थे. थंबीदुरै करुर लोकसभा सीट से प्रतिनिधि हैं और 1985 से 1989 के बीच वह लोकसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.

15वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष रहे भाजपा नेता कडि़या मुंडा को फिर से उपाध्यक्ष बनाने की भी चर्चा है. दरअसल, राज्यसभा में एनडीए का बहुमत नहीं है. उसे अन्य दलों का समर्थन चाहिए होगा. इसके लिए अन्नाद्रमुक अच्छा सहयोगी साबित हो सकती है. उच्च सदन में उसके 10 सदस्य हैं. राज्यसभा में 245 सदस्य हैं, जिनमें से भाजपा के 42, शिवसेना के तीन, शिरोमणि अकाली दल के तीन और तेदेपा के छह सदस्य हैं. आरपीआइ-ए का केवल एक सदस्य है.

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