नयी दिल्ली : पिछले तीन महीने से तिहाड़ जेल में बंद सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को आज उस समय झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने उन्हें उनके घर में ही नजरबंद करने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया लेकिन उनकी रिहाई हेतु पांच हजार करोड़ रुपये नकद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी की व्यवस्था करने के लिए समूह को संपत्ति बेचने की अनुमति दे दी.
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एके सीकरी की खंडपीठ ने न्यायालय के पहले के आदेश में सुधार से संबंधित आदेश के मुख्य अंश सुनाते हुये कहा,अवमाननाकर्ता को जेल से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध खारिज किया जाता है. तिहाड़ जेल में चार मार्च से बंद सहारा समूह के मुखया को उनकी रिहाई के लिये शीर्ष अदालत ने पहले पांच हजार करोड रुपए नकद और पांच हजार करोड रुपये की बैंक गारंटी देने का निर्देश दिया था.
न्यायालय ने आज अपने फैसले में सहारा समूह को नौ शहरों में अचल संपत्ति बेचने की अनुमति देते हुये स्पष्ट किया कि इसे सर्किल रेट से कम पर नहीं बेचा जायेगा और इसका खरीदार समूह से जुड़ा हुआ या संबंधित नहीं होना चाहिए.न्यायालय ने कहा कि इस बिक्री से मिलने वाली राशि बाजार नियामक सेबी द्वारा खोले गये एक अलग बैंक खाते में जमा होगी और इसके एवज में वह क्रेता के पक्ष में संपत्तियों के मालिकाना विलेख जारी करेगी.
न्यायालय ने सहारा समूह के सावधि जमा और बांड के भुनाने पर लगी रोक खत्म कर दी और कहा कि यह भी बाजार नियामक के पास ही रखे जायेंगे.सहारा समूह के तीन विदेशी होटलों में भागीदारी की बिक्री के मसले पर न्यायालय ने कहा कि इसके लिये धन देने वाले बैंक ऑफ चाइना से पत्र व्यवहार के बारे में समूह को अभी हलफनामा दाखिल करना है.