उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री मोहम्मद आजम खां का कहना है कि राजनीति में किसी को भी अपने उसूलों पर टिके रहना जरूरी है. राजनीति उसूलों से होती है. यूपी की राजनीति में 66 वर्षीय आजम खां ऐसे शख्स हैं जो अपनी बात को मनवाने के लिए किसी से भी मोर्चा ले लेते हैं. उन्हें जो गलत लगता है, उसका खुलकर वह विरोध करते हैं. उनका उसूल है कि सही बात कहो, सही काम करो और उस पर डटे रहो. किसी के दबाव में मत आओ. चाटुकारिता की जगह अपनी मेहनत पर भरोसा करो. यह गुण किसी भी राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए जरूरी है.
आजम कहते हैं कि युवा पीढ़ी को राजनीति में आने की जरूरत है. मगर सवाल यह है कि राजनीति में वे क्यों आना चाहते हैं. उसके पीछे की मंशा या समझ क्या है. बहुत सारे लोग राजनीति को पेशा मानते हैं. ऐसा मानने वालों को मेरे दृष्टिकोण से निराशा होगी. मेरा मानना है कि राजनीति एक पवित्र काम है और यह किसी भी आदमी की छटपटाहट की अभिव्यक्ति भी है. राजनीति कोई धंधा नहीं है. यह समाज के सरोकारों से जुड़ने के लिए, अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए एक प्लेटफार्म देता है.
आजम खां कहते हैं कि राजनीति को अपवित्र कर्म मानने वालों की कमी नहीं है. मगर कुछ राजनीतिज्ञों या सियासी दलों के चलते राजनीति के बारे में ऐसी धारणा बनाना गलत है. मेरा मानना है कि समाज में जिस प्रकार से तब्दीलियां आ रही हैं, उसे मुकम्मल चेहरा देने के लिए बड़ी तादाद में छात्र-छात्रओं को राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए. यह भी सही है कि एक स्तर की समझदारी विकसित होने के बाद अपनी पसंद के सियासी दलों के साथ जुड़ना ठीक रहता है. जाहिर है कि इसकी तैयारी आपको पहले से ही कर देनी चाहिए. ऐसा न हो कि आपने जीवन में कुछ नहीं किया तो राजनीति करने चले आये. यह पूरी तरह गलत नजरिया है. इन्हीं सब प्रवृतियों के चलते राजनीति कर्म को अगंभीर माना जाने लगा. मेरी समझ है कि जिंदगी के जिन दूसरे क्षेत्रों में जाने के लिए आप जैसी तैयारी करते हैं, उससे कम तैयारी राजनीति में आने के लिए नहीं होनी चाहिए.
जरूरी यह भी है कि राजनीति में आने का विचार रखने वाले युवा साथी उम्दा साहित्य पढ़ें. अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र का अध्ययन करें. अच्छे लेखकों की रचनाएं पढ़ें. इससे एक समझदारी बनती है. देश में कई राजनीतिक धाराएं हैं. उन धाराओं के बारे में एक नजरिया मिलता है. मेरा मानना है कि किसी भी व्यक्ति को अपने सही स्टैंड पर कायम रहना चाहिए. राजनीति में थोपे हुए विचारों की कोई जगह नहीं होती.
एक चीज महसूस करता हूं कि जैसे आप जिंदगी जीते हैं, उसी प्रकार राजनीति को शिद्दत के साथ जीना चाहिए. इसके बगैर आपका राजनीतिक कर्म अधूरा साबित होगा. ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि समज के सामने जो मसले हैं, उसके प्रति आपकी संवेदना नहीं होगी तो आप राजनीति में सफल नहीं होंगे. दूसरी बात यह है कि आपको अपनी बात बेहद तर्कपूर्ण अंदाज में रखने का अंदाज लाना होगा. आम लोग या पार्टी के अंदर आपके तर्क तभी सुने जायेंगे जब उसमें ताकत हो. आपकी बात को लोग क्यों सुनेंगे जब उसमें दलील या संवदेना ही न हो?
चौधरी चरण सिंह से प्रभावित होकर राजनीति में आने वाले आजम खां मानते हैं कि साफगोई के बगैर आपकी कोई पहचान कायम नहीं होगी. जो भी बाते कहें, उसमें साफगोई होनी चाहिए. उलझी हुई बात कोई नहीं सुनना चाहता. सामने वाला आपको स्पष्ट तरीके से सुनना चाहता है. एमए और एलएलएम की डिग्री धारी आजम खां ने 1980 के विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट से चुनाव लड़ा था. वह कहते हैं कि राजनीति कार्यकर्ताओं को हर समय कोशिश करनी चाहिए कि वे समाज और देश-दुनिया के बारे में ज्ञान हासिल करें.
आजम खां
आजम खां समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में से एक हैं. वे अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं.